Mann Ki Baat : रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 118वें एपिसोड के माध्यम से देशवासियों को संबोधित किया। इस बार का एपिसोड खास था, क्योंकि यह 2025 की पहली ‘मन की बात’ थी और यह गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर प्रसारित हुआ।
गणतंत्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर देशवासियों को गणतंत्र दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं दीं। उन्होंने बताया कि इस बार का गणतंत्र दिवस बहुत खास है, क्योंकि यह भारतीय गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ है। इसी साल संविधान लागू होने के 75 साल पूरे हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान सभा के उन महान नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने भारत को उसका पवित्र संविधान दिया। उन्होंने कहा, मैं संविधान सभा के उन सभी महान व्यक्तित्वों को नमन करता हूं, जिन्होंने हमें हमारा पवित्र संविधान दिया।
बाबासाहब आंबेडकर के संबोधन के अंश
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में बाबासाहब भीमराव आंबेडकर के संविधान सभा के दौरान कहे गए कुछ अहम विचारों को साझा किया। उन्होंने कहा, जब संविधान सभा ने अपना काम शुरू किया तो बाबासाहब आंबेडकर ने परस्पर सहयोग को लेकर एक बहुत महत्वपूर्ण बात कही थी। पीएम मोदी ने आंबेडकर के विचारों को देशवासियों के सामने रखा और बताया कि संविधान सभा के दौरान विभिन्न मुद्दों पर गहरी चर्चाएं हुईं, जो आज भी हमारी राष्ट्रीय धरोहर हैं।
उन्होंने संविधान के प्रति भारतवासियों की आस्था का उल्लेख करते हुए कहा कि जब भारत में 1951-52 में पहली बार चुनाव हुए, तो कुछ लोगों को संदेह था कि क्या भारत का लोकतंत्र जीवित रहेगा। लेकिन भारतीय लोकतंत्र ने सबकी आशंकाओं को गलत साबित किया और आज हम गर्व से कह सकते हैं कि भारत लोकतंत्र की जननी है।
लोकतंत्र और मतदान का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने नागरिकों से अपील की कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनें और मतदान के अधिकार का अधिकतम उपयोग करें। उन्होंने कहा, हमारे लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए जरूरी है कि हम अधिक से अधिक संख्या में अपने मत का प्रयोग करें और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सशक्त बनाएं।
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ पर चर्चा
पीएम मोदी (Mann Ki Baat) ने प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ की परंपरा पर भी बात की। उन्होंने कहा कि यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है, और इसमें कोई भेदभाव नहीं है। यह सभी धर्मों और जातियों को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण घटना है। उन्होंने बताया कि कुंभ मेले में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आते हैं और यह एकता और सद्भाव का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने कहा, कुंभ, पुष्करम और गंगा सागर मेला जैसे पर्व हमारे सामाजिक मेलजोल और एकता को बढ़ाने वाले पर्व हैं। उन्होंने भारत की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का भी जिक्र करते हुए कहा कि ये पर्व हमें एकजुट करते हैं और हमारी साझा सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हैं।
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