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Kanpur News: कानपुर के बुद्धा पार्क में शिवालय निर्माण का प्रस्ताव रद्द, मायावती ने योगी सरकार को कहा धन्यवाद

by | Sep 3, 2025 | अपना यूपी, कानपुर, बड़ी खबर, मुख्य खबरें, राजनीति

Kanpur News: कानपुर स्थित बुद्धा पार्क में शिवालय पार्क बनाने के विवादित प्रस्ताव को अंततः उत्तर प्रदेश सरकार ने रद्द कर दिया है। इस निर्णय के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने योगी आदित्यनाथ सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री को इसके लिए धन्यवाद दिया है।

मायावती ने सामाजिक सौहार्द्र बनाए रखने की बात करते हुए कहा कि समाज में भाईचारे का माहौल किसी भी सूरत में खराब नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि भविष्य में सरकार इस तरह के विवादास्पद प्रस्तावों पर सख्त रुख अपनाएगी।

बसपा मुखिया मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, कानपुर के प्रसिद्ध बुद्धा पार्क में शिवालय पार्क बनाने का यह अति-विवादित प्रस्ताव रद्द किये जाने की आज मीडिया में खबर छपी है, जिसका स्वागत व यूपी सरकार को इसके लिये धन्यवाद भी है।”

उन्होंने आगे लिखा, “उम्मीद है कि सरकार आगे अन्यत्र कहीं भी ऐसा कोई विवाद खड़ा करने के षड्यंत्र को गंभीरता से लेकर इसके विरुद्ध सख़्ती करेगी ताकि समाज में शांति-व्यवस्था, आपसी भाईचारा एवं सौहार्द का वातावरण बिगड़ने न पाये।”

विवाद की जड़ कानपुर के कल्याणपुर इलाके के इंद्रानगर में स्थित बुद्धा पार्क है, जिसे वर्ष 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की सरकार ने बनवाया था। हाल ही में योगी सरकार की ओर से इस पार्क में प्रयागराज के शिवालय पार्क की तर्ज पर 12 ज्योतिर्लिंगों के मॉडल स्थापित करने का प्रस्ताव लाया गया था।

इस प्रस्ताव के सामने आते ही विवाद शुरू हो गया। बौद्ध समुदाय और बसपा कार्यकर्ताओं ने इसका तीखा विरोध किया। मायावती ने स्पष्ट रूप से कहा था कि बुद्धा पार्क बौद्ध धर्म और डॉ. भीमराव अंबेडकर के अनुयायियों की आस्था का केंद्र है और वहां किसी अन्य धर्म से जुड़े धार्मिक ढांचे का निर्माण अनुचित होगा।

बसपा सुप्रीमो के अलावा, नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया था। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की थी।

विवाद और राजनीतिक विरोध को देखते हुए, योगी सरकार ने यह प्रस्ताव रद्द कर दिया है। सरकार के इस कदम को जहां एक ओर साम्प्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने की दिशा में उठाया गया कदम बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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