Noida News: जनहित से जुड़ी महत्वपूर्ण अग्निशमन सेवा में उत्तर प्रदेश सरकार का वर्ष 2008 का स्पष्ट शासनादेश आज भी कागजों तक सीमित है। आदेश में साफ लिखा है कि कोई भी अग्निशमन द्वितीय अधिकारी व अग्निशमन अधिकारी 5 वर्ष की सेवा पूरी होने तक श्रेणी-सी एवं कस्बा/तहसील स्तर के केन्द्रों पर तैनात रहेंगे। 5 से 10 वर्ष की सेवा वाले अधिकारी श्रेणी-बी केन्द्रों पर तैनात होंगे और 10 वर्ष से अधिक सेवा के बाद ही अधिकारी श्रेणी-ए केन्द्रों पर तैनात किए जाएंगे।

इसके मुख्य बिंदु
- 5 वर्ष की सेवा पूरी होने तक श्रेणी-सी एवं कस्बा/तहसील स्तर के केन्द्रों पर तैनाती
- 5 से 10 वर्ष की सेवा वाले अधिकारी की श्रेणी-बी केन्द्रों पर तैनाती
- 10 वर्ष से अधिक सेवा के बाद ही अधिकारी की श्रेणी-ए केन्द्रों पर होगी तैनात
नियम का नहीं हो रहा पालन
लेकिन हकीकत में नोएडा के कई फायर स्टेशन पर इस नियम का पालन नहीं हो रहा है। शासनादेश की अनदेखी कर अयोग्य व अनुभवहीन अधिकारियों को बड़े फायर स्टेशनों पर बैठा दिया गया है।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह मनमानी सीधे जनता की सुरक्षा पर खतरा बन रही है। क्योंकि अनुभवी अधिकारियों की जगह कम अनुभव वाले अफसर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं।
सवाल यह है कि जब जनहित से जुड़ी सेवा में भी नियम ताक पर रख दिए जाएंगे तो आग जैसी आपात स्थितियों में जनता की सुरक्षा कौन सुनिश्चित करेगा। वहीं जनता की मांग है कि उत्तर प्रदेश सरकार (@UPGovt) और संबंधित उच्च अधिकारी तत्काल संज्ञान लें और 2008 की नीति का सख्ती से पालन कराएं।
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