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Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर पर असदुद्दीन ओवैसी का सख्त रुख, महबूबा मुफ्ती की चुप्पी पर उठे सवाल

by | May 17, 2025 | बड़ी खबर, मुख्य खबरें, राजनीति

Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर को लेकर देशभर में जबरदस्त चर्चा हो रही है। ऐसे में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे पर बेहद स्पष्ट और सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने न सिर्फ भारतीय सेना की कार्रवाई का समर्थन किया, बल्कि पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को पूरी तरह नष्ट करने की भी मांग की है।

7 मई को जब ऑपरेशन सिंदूर की खबर सामने आई, उसी दिन असदुद्दीन ओवैसी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट कर लिखा, मैं हमारी सेनाओं की तरफ से पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर किए गए हमलों का स्वागत करता हूं। पाकिस्तानी डीप स्टेट को ऐसी सख्त सीख दी जानी चाहिए कि फिर कभी दूसरा पहलगाम न हो। पाकिस्तान के आतंक ढांचे को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए।”

ओवैसी ने सर्वदलीय बैठक में भी सरकार को सलाह दी कि केवल 9 आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई ही काफी नहीं, बल्कि पाकिस्तान में मौजूद सभी आतंकी कैंपों को पूरी तरह खत्म किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरने और उसे फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में लाने की वकालत की।

ओवैसी यहीं नहीं रुके। उन्होंने सोशल मीडिया पर ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ जैसे नारे भी लगाए और पाकिस्तानी जवाबी ऑपरेशन ‘बुनयान अल-मरसूस’ का कुरान की आयतों के जरिए व्यंग्यात्मक जवाब दिया। रहीम यार खान एयरबेस पर हुए हमले के बाद उन्होंने पाकिस्तान के साथ-साथ चीन पर भी निशाना साधा और इन दोनों देशों की नीति पर सवाल खड़े किए।

दूसरी ओर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) को लेकर अब तक कोई सीधा बयान नहीं दिया है। हालांकि उन्होंने पहलगाम हमले की निंदा जरूर की थी और आतंकवाद का समर्थन नहीं किया, लेकिन 7 मई के ऑपरेशन सिंदूर पर वह चुप रहीं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महबूबा मुफ्ती की चुप्पी रणनीतिक है। चूंकि उनका राजनीतिक आधार जम्मू-कश्मीर में है, जहां भारत-पाक तनाव और सैन्य कार्रवाइयों को लेकर जनमत बंटा हुआ है, ऐसे में उन्होंने राष्ट्रीय भावना और स्थानीय संवेदनाओं के बीच संतुलन साधने के लिए खुद को सीमित टिप्पणी तक रखा।

महबूबा मुफ्ती हमेशा से ही भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत और शांति प्रक्रिया की पक्षधर रही हैं। सीजफायर पर भी वह पहले कई बार बयान दे चुकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वह अपनी पुरानी नीति के अनुरूप ही सैन्य कार्रवाई पर चुप्पी साधे हुए हैं।

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