BMC Election 2026: देश की राजनीति अब पूरी तरह गठबंधनों के सहारे चल रही है, लेकिन महाराष्ट्र के नगर निगम चुनावों में तस्वीर कुछ अलग दिख रही है। यहां लंबे समय से साथ चल रहे, राजनीतिक साथी अब अलग-अलग मैदान में उतर गए हैं। खासतौर पर मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव में यह बदलाव सबसे ज्यादा नजर आ रहा है, जहां न सत्ता पक्ष पूरी तरह साथ है और न ही विपक्ष।
BMC चुनाव और ठाकरे परिवार की बढ़ती नजदीकी
BMC चुनाव के बीच एक बड़ी राजनीतिक हलचल तब देखने को मिली, जब उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक बार फिर करीब आते दिखे। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने मंगलवार शाम शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रमुख और अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे से उनके घर ‘मातोश्री’ में मुलाकात की। यह मुलाकात नगर निगम चुनावों के लिए नामांकन की आखिरी तारीख के बाद हुई। दोनों दल BMC चुनाव मिलकर लड़ रहे हैं, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर अब भी पूरी तस्वीर साफ नहीं है।
15 जनवरी को होगा मतदान
मुंबई समेत राज्य की 29 महानगरपालिकाओं में 15 जनवरी को वोटिंग होगी और अगले दिन नतीजे आएंगे। BMC देश का सबसे बड़ा और सबसे अमीर नगर निगम है, जिसका सालाना बजट 74,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसलिए हर पार्टी की नजर इसी चुनाव पर टिकी हुई है।
सूत्रों के मुताबिक 227 सीटों वाली BMC में, शिवसेना (उद्धव) 150 से ज्यादा सीटों पर, शरद पवार की NCP को करीब 11 सीटें, बाकी सीटें राज ठाकरे की MNS को मिल सकती हैं।
महायुति भी हर जगह साथ नहीं, राज्य में सत्ता चला रही महायुति (बीजेपी + शिवसेना शिंदे गुट) भी सभी नगर निगमों में साथ नहीं है।
मुंबई में बीजेपी 137 सीटों पर और शिवसेना (शिंदे) 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है
हालांकि मुंबई के अलावा ठाणे, जलगांव, नागपुर जैसे कुछ शहरों में दोनों दलों के बीच समझौता है, लेकिन पुणे, नासिक, संभाजीनगर, नवी मुंबई, सोलापुर, लातूर जैसे कई बड़े शहरों में दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं।
कांग्रेस अकेली, VBA को नहीं मिले उम्मीदवार
दूसरी ओर, महाविकास अघाड़ी में भी दरार साफ दिख रही है। कांग्रेस ने BMC चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है और उसने वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) से गठबंधन किया है। लेकिन यहां कांग्रेस को झटका लगा। VBA को जिन 62 सीटों पर लड़ना था, उनमें से 20 सीटों पर उम्मीदवार ही नहीं मिले, और ये सीटें कांग्रेस को वापस करनी पड़ीं।
VBA का मुख्य वोट बैंक नवबौद्ध समुदाय माना जाता है, लेकिन इस बार पार्टी जमीन पर कमजोर दिखी।
बीजेपी में टिकट को लेकर भी चर्चा
बीजेपी ने अपने पुराने रुख से हटते हुए इस बार BMC चुनाव में विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के परिवार के तीन लोगों को टिकट दिया है। इसमें उनके भाई, भाभी और चचेरी बहन शामिल हैं, जिसको लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है।
नागपुर में भी कांग्रेस और NCP अलग
नागपुर नगर निगम चुनाव में भी कांग्रेस और NCP (शरद पवार) साथ नहीं हैं। NCP ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने उसे तय सीटें नहीं दीं। 2017 में नागपुर में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की थी और इस बार भी मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है।
कांग्रेस का बड़ा दांव
महाविकास अघाड़ी से दूरी के बाद कांग्रेस ने बड़ा फैसला लेते हुए कुल 528 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। 1999 के बाद यह पहली बार है जब कांग्रेस इतनी बड़ी संख्या में नगर निगम सीटों पर खुद मैदान में उतर रही है। मुंबई, ठाणे, पुणे, संभाजीनगर, पिंपरी-चिंचवड़, नागपुर, अकोला, अमरावती जैसे शहरों में कांग्रेस ने बड़ी मौजूदगी दर्ज कराई है।
कुल मिलाकर महाराष्ट्र के नगर निगम चुनावों ने साफ कर दिया है कि राज्य की राजनीति में गठबंधन जरूरी तो हैं, लेकिन मजबूरी नहीं। कहीं पुराने साथी अलग हो गए हैं, कहीं परिवार फिर करीब आ रहे हैं, और कहीं पार्टियां अपनी ताकत अकेले आजमाने निकल पड़ी हैं। अब 15 जनवरी का इंतजार है, जब जनता तय करेगी कि इन बदले हुए राजनीतिक समीकरणों में किसका पलड़ा भारी रहता है।
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