Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ के रायपुर में 1 जनवरी 2025 को 30 प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया। इन शिक्षकों पर आरोप था कि उन्होंने भाजपा मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन के बाद सड़क जाम कर दी थी। यह घटना तब हुई जब छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग ने 31 दिसंबर 2024 को 2897 सहायक शिक्षकों की बर्खास्तगी का आदेश जारी किया। इस आदेश के खिलाफ राज्यभर में शिक्षकों के विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं।
शिक्षकों के विरोध का मुख्य कारण है कि नई साल की शुरुआत के साथ ही सहायक शिक्षकों की नौकरी चली गई, जिसके चलते उनके बीच गुस्सा और आक्रोश फैल गया है। पिछले कुछ दिनों से शिक्षकों ने लगातार आंदोलन किया है, जिसमें बीएड योग्य शिक्षकों ने रायपुर में सड़कों की सफाई की और रक्तदान किया साथ ही पुरुषों ने अपने सिर मुंडवाए और महिलाओं ने अपने बाल काटे। इसके अलावा जल समाधि सत्याग्रह भी किया गया। 1 जनवरी को कई शिक्षकों का समूह भाजपा कार्यालय के बाहर बैठ गया और सरकार से शिक्षा विभाग में अन्य रिक्त पदों पर उन्हें नियुक्ति देने की अपील की। जब पुलिस ने उन्हें नए रायपुर जाने के लिए कहा, तो शिक्षकों ने एक सड़क जाम कर दी, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का समर्थन
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस मामले में शिक्षकों के पक्ष में बयान दिया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “यह सरकार नई नौकरियां तो नहीं दे पा रही है, लेकिन मौजूदा नौकरियां छीन रही है। सरकार ने शिक्षा विभाग में कार्यरत 2,897 लोगों को निकाल दिया है, जिनमें से 70% अनुसूचित जनजाति से हैं।” भूपेश बघेल का यह बयान राज्य में बढ़ते आक्रोश को और प्रकट करता है।
क्या है छत्तीसगढ़ के शिक्षकों का विरोध?
छत्तीसगढ़ में शिक्षक भर्ती और पदोन्नति नियम 2019 के तहत बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में विवाद खड़ा हो गया था। यह मामला पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों की नियुक्ति को गलत ठहराया और उन्हें नौकरी से हटाने का आदेश दिया। इस फैसले से पहले सरकार ने बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को नियुक्ति देने का आदेश जारी किया था, लेकिन यह आदेश सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले के अधीन था।
हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा कि छत्तीसगढ़ शिक्षक भर्ती और पदोन्नति नियम 2019 शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन करते हैं। इस आदेश के बाद बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों के पास न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का विकल्प नहीं बचा है। सरकार भी इस मामले में अब न्यायालय नहीं जा सकती, और इस स्थिति में बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को नौकरी से हटा दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों के खिलाफ फैसले दिए, जिसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार को उनके समायोजन के लिए कोई प्रस्ताव पेश नहीं करना पड़ा। इसके कारण बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को नौकरी से हटाना पड़ा। अब ये शिक्षक और उनके समर्थक इस फैसले को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें न्यायालय से राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं बची है।