CM Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सदन में विपक्ष द्वारा उठाए गए आरोपों का विस्तार से जवाब दिया। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ हालिया मुलाकात, स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य किए जाने के प्रस्ताव और हनीट्रैप मामले पर खुलकर अपना पक्ष रखा।
“अगर उद्धव नहीं आएंगे तो विरोधियों को मुद्दा कैसे मिलेगा?”
मुख्यमंत्री फडणवीस ने चुटकी लेते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे उनके पास आए, इसी से विपक्ष को चर्चा का मौका मिल गया। उन्होंने हंसते हुए कहा, “अगर वो दोबारा नहीं आएंगे, तो विरोधियों को मुद्दा कहां से मिलेगा?”
बता दें कि उद्धव ठाकरे, बेटे आदित्य ठाकरे और पार्टी विधायकों के साथ गुरुवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात करने पहुंचे थे। इससे पहले बुधवार को फडणवीस ने हंसी में उन्हें “साथ आने” का न्योता भी दे दिया था, जिसकी राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा हो रही है।
“हिंदी अनिवार्यता का प्रस्ताव उद्धव सरकार की देन”
फडणवीस ने सदन में स्पष्ट किया कि पहली से बारहवीं तक हिंदी भाषा को अनिवार्य करने का फैसला उनकी सरकार का नहीं बल्कि उद्धव ठाकरे की सरकार के कार्यकाल का है।
उन्होंने कहा कि उन्हें ‘हिंदी सख्ती होनी चाहिए’ शीर्षक वाली एक रिपोर्ट मिली थी, जो खुद उद्धव ठाकरे ने उन्हें दी थी। इस रिपोर्ट का सारांश उन्होंने स्वीकार किया था, और शासन का निर्णय उसी पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यह तथ्य अखबारों में प्रकाशित खबरों से भी स्पष्ट होता है।
हनीट्रैप मामले में कोई ठोस तथ्य नहीं – CM Fadnavis
सीएम फडणवीस ने विपक्ष द्वारा उठाए गए हनीट्रैप मामले को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि न तो कोई मामला सामने आया है और न ही कोई ठोस सबूत हैं।
उन्होंने कहा, “कल से इस मुद्दे पर खूब शोर मचाया जा रहा है। नाना भाऊ (नाना पटोले) जैसे कोई बड़ा खुलासा करने वाले थे, लेकिन उनके पास कुछ था ही नहीं।”
सीएम ने बताया कि नासिक में एक महिला ने उपजिलाधिकारी के खिलाफ शिकायत जरूर की थी, लेकिन बाद में वह शिकायत वापस ले ली गई। उन्होंने यह भी कहा कि जिस होटल मालिक का इस मामले में नाम आ रहा है, वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रत्याशी रह चुके हैं।
नाना पटोले पर फडणवीस ने साधा निशाना
फडणवीस (CM Devendra Fadnavis) ने कांग्रेस नेता नाना पटोले पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पटोले को यूं ही सदन छोड़ने के बजाय पुख्ता सबूत लेकर आना चाहिए था। “अगर उनके पास वाकई मजबूत तथ्य होते, तो वे सरकार को कटघरे में खड़ा कर सकते थे। सिर्फ आरोप लगाना काफी नहीं होता, ठोस प्रमाण भी होने चाहिए।
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