Delhi News: दिल्ली के शाहदरा कोर्ट परिसर में वकीलों का विरोध प्रदर्शन शनिवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। 1 जुलाई से शुरू हुए इस आंदोलन ने अब भूख हड़ताल का रूप ले लिया है। पहले दो दिनों तक वकील शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठे रहे, लेकिन प्रशासन द्वारा उनकी मांगों की अनदेखी किए जाने के बाद 3 जुलाई से वकीलों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी।
वकीलों की सबसे बड़ी मांग
वकीलों की सबसे बड़ी मांग यह है कि NI ACT और धारा 138 से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाली कोर्ट्स को वापस शाहदरा कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए। वकीलों का कहना है कि इन कोर्ट्स को दूसरे स्थानों पर शिफ्ट करने से उनकी आमदनी पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इसके साथ ही उन्हें आने-जाने में अधिक समय और खर्च का सामना करना पड़ रहा है।
“यह केवल रोज़गार की नहीं, सम्मान की…” – एसोसिएशन के सचिव
शाहदरा बार एसोसिएशन के सचिव नरवीर डबास ने बताया कि एसोसिएशन का हर सदस्य इस आंदोलन में पूरी एकजुटता के साथ शामिल है। उन्होंने कहा, “यह कोई मामूली बार नहीं है। पिछले तीन दिन से वकील बिना खाए-पिए, बिना आराम किए दिन-रात कोर्ट परिसर में डटे हुए हैं। हम तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं।”
वकीलों की आजीविका पर संकट
भूख हड़ताल में शामिल कई वकीलों ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर NI ACT और धारा 138 की कोर्ट्स को वापस नहीं लाया गया, तो उनकी आजीविका पर संकट आ जाएगा। एक वकील ने कहा, “अगर हमारी बात नहीं सुनी गई तो हमें भूख से मरने पर मजबूर होना पड़ेगा। हमारी कमाई का जरिया ही खत्म हो जाएगा।”
कोर्ट परिसर में कामकाज पूरी तरह ठप
1 जुलाई से कोर्ट परिसर में कामकाज पूरी तरह ठप है। वकीलों की गैरमौजूदगी के चलते न्यायिक प्रक्रिया पर व्यापक असर पड़ा है। बार एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर 5 जुलाई तक उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और अधिक उग्र रूप लेगा।
शाहदरा बार एसोसिएशन ने प्रशासन से अपील की है कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए जल्द समाधान निकाला जाए, ताकि न्यायिक प्रक्रिया बाधित न हो और वकीलों की रोज़ी-रोटी सुरक्षित रहे।
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