Waqf Amendment Act : सुप्रीम कोर्ट में आज दोपहर 2 बजे वक्फ संशोधन कानून, 2023 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। इस कानून का विरोध सिर्फ मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें अन्य धर्मों के प्रतिनिधि भी शामिल हो गए हैं। गुड़गांव स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा के अध्यक्ष और सिख धर्म के अनुयायी दया सिंह ने भी इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता श्वेतांक सैलाकवाल के माध्यम से एक रिट याचिका दायर की है।
क्या हैं दया सिंह की दलीलें?
दया सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि वे धार्मिक भाईचारे और दान-पुण्य की परंपरा के समर्थक हैं। उनका कहना है कि नए वक्फ संशोधन कानून के जरिए मूलभूत अधिकारों का हनन हुआ है। उन्होंने कहा कि पहले लोग अपनी धार्मिक पहचान से परे जाकर भी वक्फ के रूप में संपत्ति दान कर सकते थे, लेकिन संशोधित कानून के तहत अब ऐसा करना गैर-मुस्लिमों के लिए संभव नहीं रह गया है।
दया सिंह ने यह भी रेखांकित किया कि सिख धर्म में भी यह परंपरा रही है कि अन्य धर्मों के लोग गुरुद्वारों में दान करते हैं, और इसे कभी धार्मिक भेदभाव से नहीं जोड़ा गया। उनके अनुसार, किसी को उसकी धार्मिक पहचान के आधार पर दान देने से रोकना संविधान द्वारा प्रदत्त अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धार्मिक अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन है।
वक्फ कानून में क्या बदला गया है?
दया सिंह की याचिका में वक्फ संशोधन कानून की कुछ खास बातों को चुनौती दी गई है। इनमें प्रमुख हैं:
- वक्फ बाई यूजर (Waqf by user) की अवधारणा को खत्म किया जाना,
- वक्फ संपत्ति के लिए दानदाता के मुस्लिम होने और कम से कम 5 साल तक इस्लाम का अभ्यास करने की शर्त,
- गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने की मनाही।
दया सिंह का कहना है कि ये बदलाव संविधान की धर्मनिरपेक्षता की भावना के खिलाफ हैं। उन्होंने तर्क दिया कि जब हिंदू और सिख समुदाय अपनी धार्मिक संपत्तियों को स्वायत्त रूप से प्रबंधित कर सकते हैं, तो मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों के लिए अलग व्यवस्था बनाना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
कौन-कौन याचिकाकर्ता हैं?
आज जिन याचिकाओं पर सुनवाई होनी है, उनमें दया सिंह के अलावा कई प्रमुख नाम शामिल हैं। इनमें AIMIM प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, अरशद मदनी, महुआ मोइत्रा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, CPI, वाईएसआरसीपी, टीवीके और अन्य शामिल हैं।
क्या है मामला?
वक्फ एक इस्लामिक संस्था होती है, जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए समर्पित कर सकता है। सरकार द्वारा लाए गए संशोधन में दानदाता के मुस्लिम होने और वक्फ की संपत्ति के प्रबंधन में केवल मुस्लिमों को ही शामिल करने जैसी नई शर्तों को शामिल किया गया है, जिससे इसका विरोध और विवाद खड़ा हो गया है।