Maha Kumbh 2025 : संगम नगरी प्रयागराज में सोमवार को पौष पूर्णिमा पर शाही स्नान के साथ महाकुंभ 2025 की शुरुआत हो गई है। इस विशेष दिन पर लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई, और एक साथ हर एक कदम पर श्रद्धा और विश्वास का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। महाकुंभ 2025 के आयोजन के लिए शासन प्रशासन ने व्यापक तैयारी की है, जिससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं की उम्मीद
इस बार महाकुंभ में करीब 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है। इस विशाल संख्या को देखते हुए प्रशासन द्वारा हर तरह की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया गया है। शाही स्नान के पहले दिन ही भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया, और इस आयोजन का हिस्सा बने।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने व्यवस्थाओं की सराहना की। एक श्रद्धालु ने कहा, “सरकार ने अच्छी व्यवस्था की है, हम पावन डुबकी लगाने जा रहे हैं।” विजय कुमार ने बताया, “यहां की व्यवस्था बहुत अच्छी है, हर एक चीज की व्यवस्था है। रास्ते भी अच्छे बने हैं और खाने-पीने की भी उत्तम व्यवस्था की गई है।” वहीं, ब्राजील के श्रद्धालु फ्रांसिस्को ने कहा, “मैं योग का अभ्यास करता हूं और मोक्ष की खोज में हूं। भारत दुनिया का आध्यात्मिक हृदय है। पानी ठंडा है, लेकिन हृदय गर्मजोशी से भरा हुआ है।”
Maha Kumbh की पहले दिन की भव्यता
महाकुंभ के पहले स्नान पर्व के दौरान रविवार को करीब 50 लाख श्रद्धालुओं ने संगम त्रिवेणी में डुबकी लगाई, जबकि शनिवार को भी लगभग 33 लाख श्रद्धालु संगम में स्नान करने पहुंचे थे। इसके साथ ही साधु संतों, पुरुषों, महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों ने भी आस्था की डुबकी लगाई और पुण्य लाभ अर्जित किया।
14 जनवरी को मकर संक्रांति पर पहले अमृत स्नान
महाकुंभ में सभी प्रमुख साधु संत अखाड़ा क्षेत्र में प्रवेश कर चुके हैं। रविवार को श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन ने अपनी छावनी में प्रवेश किया, जिससे महाकुंभ के पहले स्नान पर्व की भव्यता में चार चांद लग गए। 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ में सनातन आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर पहले अमृत स्नान के दौरान सभी अखाड़े अपने क्रम के अनुसार स्नान करेंगे।
144 साल बाद महाकुंभ के लिए बना ऐसा संयोग
महाकुंभ 2025 में इस बार कुछ खास संयोग बन रहे हैं, जिनकी वजह से इस आयोजन का महत्व और भी बढ़ गया है। 144 साल बाद महाकुंभ के लिए ऐसा संयोग बना है, और देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं। विभिन्न वेशभूषा में साधु संतों का आगमन और उनके आशीर्वाद से महाकुंभ का रंग बेहद भव्य और विविधता से भरा हुआ नजर आ रहा है। अखाड़ों के प्रमुख भी इस बार महाकुंभ के रंग में रंगे हुए नजर आ रहे हैं, जिससे यह आयोजन और भी विशेष बन गया है।
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