Nitish Kumar News : बिहार में इस समय चुनावी माहौल है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक बड़ा झटका लगा है, जब मुस्लिम धार्मिक संगठनों ने उनकी इफ्तार पार्टी का बायकॉट करने का निर्णय लिया। ये पार्टी रविवार को पटना में आयोजित की जाने वाली थी, लेकिन वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर जेडीयू के रुख के कारण मुस्लिम संगठनों ने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया। यह पहली बार है जब नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी से मुस्लिम संगठन दूरी बना रहे हैं।
वक्फ संशोधन बिल का विरोध
बिहार में जेडीयू के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है, जिसमें बीजेपी, एलजेपी (R) और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा भी शामिल हैं। केंद्र सरकार 2024 में वक्फ (संशोधन) विधेयक लाने की तैयारी कर रही है, जिसमें वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, विवाद निपटान प्रक्रियाओं और वक्फ बोर्डों की संरचना से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण संशोधन प्रस्तावित हैं। विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई है। खासकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बिल का विरोध किया है।
इसी संदर्भ में प्रमुख मुस्लिम संगठनों जैसे जमीयत उलेमा-ए-हिंद और इमारत ए शरिया ने नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। इन संगठनों ने वक्फ विधेयक पर जेडीयू के समर्थन के कारण यह कदम उठाया है। इफ्तार पार्टी का बहिष्कार करने वाले संगठनों में इमारत शरिया, जमात इस्लामी, जमात अहले हदीस, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, और अन्य प्रमुख मुस्लिम संगठन शामिल हैं। इन संगठनों ने दूसरे मुस्लिम संगठनों से भी इस फैसले का समर्थन करने की अपील की है।
मुस्लिम संगठनों का निर्णय
इमारत शरिया के जनरल सेक्रेटरी मुफ्ती सईदुर्रहमान ने बताया कि नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में उनके धार्मिक संगठन शामिल नहीं होंगे, क्योंकि जेडीयू ने केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया है। इस बिल को लेकर इन संगठनों का मानना है कि यह मुसलमानों के हितों के खिलाफ है और इस कारण उन्होंने इस पार्टी का बायकॉट करने का फैसला लिया है।
जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी और आरोप लगाया कि जेडीयू और अन्य नेताओं ने सरकार के ‘संविधान विरोधी कदमों’ का समर्थन किया है।
आरजेडी की प्रतिक्रिया
नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी के बायकॉट पर आरजेडी ने इसे सही कदम बताया। आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि जेडीयू मुसलमानों के साथ दोहरा मापदंड अपना रही है। एक तरफ तो वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया जा रहा है, और दूसरी तरफ इफ्तार पार्टी दी जा रही है, जो दोनों ही बातें स्वीकार्य नहीं हैं। आरजेडी ने आरोप लगाया कि जेडीयू और अन्य एनडीए सहयोगी बीजेपी के एजेंडे के साथ खड़े हैं, जबकि आरजेडी ने हमेशा मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा की है।
आरजेडी ने बीजेपी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जब वे इफ्तार का आयोजन करते हैं, तो बीजेपी उन्हें निशाना बनाती है, लेकिन नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी पर चुप रहती है। आरजेडी ने यह भी कहा कि उनके नेता तेजस्वी यादव मंदिर भी जाते हैं और इफ्तार भी करते हैं, जो दिखाता है कि वे सबका सम्मान करते हैं।
जेडीयू की प्रतिक्रिया
इस पूरे मामले पर जेडीयू के प्रवक्ता नवल शर्मा ने अपनी पार्टी की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने हमेशा सेक्युलरिज्म की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों में नीतीश कुमार ने बिहार में अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए काम किया है। नवल शर्मा ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार पिछले कई वर्षों से इफ्तार पार्टी देते आए हैं और यह कोई नई बात नहीं है। उन्होंने आरजेडी को भी निशाने पर लिया और कहा कि आरजेडी ने कभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा नहीं की, बल्कि भागलपुर दंगों के आरोपियों को बचाया और मदरसा शिक्षकों को भुखमरी में छोड़ दिया।
बीजेपी का रुख
बीजेपी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने मुस्लिम संगठनों के बायकॉट फैसले को निंदनीय बताया और कहा कि यह केवल राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन बिल मुस्लिम समाज की करोड़ों की संपत्तियों को बचाने के लिए लाया गया है और इसमें कोई ऐसा प्रावधान नहीं है जो मुसलमानों के खिलाफ हो। उन्होंने मुस्लिम संगठनों से अपील की कि वे आरजेडी की राजनीति से दूर रहें, क्योंकि उनकी सिर्फ वोटबैंक से जुड़ी राजनीति है, जबकि नीतीश कुमार हमेशा सबका साथ और सबका विकास की नीति पर काम कर रहे हैं।