सोमवार (16 अक्टूबर) को आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय को नोटिस दिया है। अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होनी है। राज्यसभा से अपने सस्पेंशन को राघव ने चुनौती दी है। राघव चड्ढा को अगस्त में निलंबित किया गया था।
राघव ने ये दलील दी है कि उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का केस नहीं बनता है। अगर कोई मामला बनता भी है, तो वह नियम 256 के तहत उन्हें सिर्फ उसी सत्र तक के लिए निलंबित कर सकते है। बता दें कि संसद की विशेषाधिकार कमिटी के पास ये मामला है।
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आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपनी अर्जी दी है। 11 अगस्त को राघव चड्ढा राज्यसभा से निलंबित किये गए थे। आपको बता दें कि 5 सांसदों ने विशेषाधिकार के उल्लंघन के मामले को लेकर राघव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिसके पश्चात उन्हें राज्यसभा से निलंबित किया गया था। आप के नेता राघव पर दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव में पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगा है।
तब तक के लिए राघव चड्ढा को निलंबित किया गया है जब तक विशेषाधिकार समिति उनके खिलाफ मामले की जांच कर रही एवं अपनी रिपोर्ट सौंप नहीं
देती। निलंबन करने का प्रस्ताव बीजेपी सांसद पीयूष गोयल ने दिया था। बता दें कि इन्होनें राघव की कार्रवाई को ‘अनैतिक’ करार दिया।
राघव के वकील ने दी सफाई
सीजेआई डी.वाई. की अध्यक्षता वाली पीठ चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला ने उच्च सदन सचिवालय को नोटिस जारी किया। साथ ही 30 अक्टूबर तक जवाब भी मांगा। सुनवाई में राघव चड्ढा की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी का कहना है कि इस मामले में “राष्ट्रीय महत्व” का मुद्दा है और राज्यसभा के सभापति जांच लंबित रहने तक सदन के किसी सदस्य को निलंबित करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। खासकर तब, जब विशेषाधिकारों पर एक समिति पहले से जांच से वंचित है।
आपको बता दें कि चयन समिति में अपना नाम देने से पहले पांच राज्यसभा सांसदों की अनुमति न लेने के कारण अगस्त में निलंबित किए जाने के पश्चात पिछले सप्ताह चड्ढा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।