Raghuraj Singh : अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री ठाकुर रघुराज सिंह ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। इस बार उन्होंने राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें मुगलों की नाजायज औलाद बताया है। इसके साथ ही उन्होंने रामजीलाल सुमन को देशद्रोही बताते हुए उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। मंत्री रघुराज सिंह का यह बयान सोशल मीडिया और मीडिया में खूब चर्चा में है।
दरअसल, यह बयान ठाकुर रघुराज सिंह ने अलीगढ़ में दिया, जहां उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रामजीलाल सुमन के द्वारा मेवाड़ के महान योद्धा और शूरवीर राजा राणा सांगा को गद्दार कहे जाने पर प्रतिक्रिया दी। रघुराज सिंह ने कहा कि रामजीलाल सुमन मुगलों की नाजायज औलाद हैं और ऐसे लोग अपने असली इतिहास से अपरिचित हैं। उन्होंने कहा कि यह लोग अपने पूर्वजों का सम्मान नहीं करते और मुगलों को अपना बाप मानते हैं।
देशद्रोह का आरोप और कानूनी कार्रवाई की मांग
रघुराज सिंह ने अपने बयान में यह भी कहा कि इस तरह के लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। उनका आरोप था कि जो लोग ठाकुरों और रणबांकुरों के खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हैं, उनका इतिहास स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वे किस मानसिकता के हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इनका इतिहास खंगाला जाए, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि ये लोग मुगलों के वंशज हैं और देश के खिलाफ षड्यंत्र रचते आए हैं।
अखिलेश यादव पर भी हमला
मंत्री ठाकुर रघुराज सिंह ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव सोने की चम्मच लेकर पैदा हुए हैं और उन्हें भारत की भौगोलिक और ऐतिहासिक वास्तविकताओं की कोई समझ नहीं है क्योंकि उन्होंने विदेश में शिक्षा प्राप्त की है। रघुराज सिंह ने यह भी दावा किया कि इस बार समाजवादी पार्टी का कोई भी ठाकुर प्रत्याशी चुनाव में जीत दर्ज नहीं कर पाएगा।
‘राजपूतों ने देश को सुरक्षित रखा’ – रघुराज सिंह
रघुराज सिंह ने अपने बयान में भारत के गौरवशाली राजपूत इतिहास का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राजपूतों ने अपने रक्त और परिश्रम से इस देश को सुरक्षित रखा है। रघुराज सिंह ने यह कहा कि जब भी देश पर संकट आया, राजपूत योद्धाओं ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की सीमाओं की रक्षा की। उन्होंने राणा सांगा जैसे योद्धाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि राणा सांगा ने 80 से अधिक घाव खाने के बावजूद रणभूमि नहीं छोड़ी और अपने अंतिम क्षणों तक वीरता से लड़ते रहे।