Sonia Gandhi: कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने मनरेगा (MGNREGA) को खत्म किए जाने को ग्रामीण भारत के करोड़ों लोगों के लिए बहुत बड़ा झटका बताया है। उन्होंने कहा है कि यह योजना महात्मा गांधी के सरवोदय के सपने को पूरा करती थी और संविधान के अनुच्छेद 41 से प्रेरित थी, जो हर नागरिक को काम का अधिकार देता है। सोनिया गांधी का कहना है कि इस योजना को बुलडोजर चलाकर खत्म कर देना हम सबकी सामूहिक असफलता है।
सोनिया गांधी ने अंग्रेजी अखबार द हिंदू में लिखे अपने लेख “The Bulldozed Demolition of MGNREGA” में साफ कहा कि मनरेगा की मौत पूरे देश की नाकामी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि सभी को मिलकर उन अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, जो आम जनता की सुरक्षा और सम्मान से जुड़े हैं।
मोदी सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मनरेगा को खत्म करने का फैसला बिना किसी बहस, चर्चा या संसद की सही प्रक्रिया अपनाए लिया। उन्होंने कहा कि न तो केंद्र और राज्यों से सलाह ली गई और न ही संघीय ढांचे का सम्मान किया गया। उनके मुताबिक महात्मा गांधी का नाम हटाना तो सिर्फ शुरुआत थी, असल में पूरी योजना की संरचना ही खत्म कर दी गई।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को “विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)” यानी VB-GRAM-G को मंजूरी दे दी है, जो अब मनरेगा की जगह लेगा। इस नई योजना में ग्रामीण मजदूरों को 125 दिनों का वेतन रोजगार देने की बात कही गई है, लेकिन सोनिया गांधी का कहना है कि यह सिर्फ कागजी और अफसरशाही योजना बनकर रह गई है।
ग्रामीणों के अधिकार कमजोर हुए
सोनिया गांधी ने कहा कि मनरेगा में केंद्र सरकार की फंडिंग पर कोई सीमा नहीं थी, लेकिन नई योजना में बजट तय कर दिया गया है। अब रोजगार के दिन लोगों की जरूरत के हिसाब से नहीं, बल्कि सरकार की प्राथमिकताओं पर तय होंगे। पूरे साल काम की जो गारंटी थी, वह भी खत्म कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा ने गरीब और भूमिहीन मजदूरों को ताकत दी थी, जिससे उनकी मजदूरी बढ़ी और उनकी स्थिति बेहतर हुई। अब इस योजना के खत्म होने से उनकी सौदेबाजी की ताकत कमजोर हो जाएगी। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार मजदूरी बढ़ने से रोकना चाहती है, जबकि आजादी के बाद पहली बार खेती के क्षेत्र में रोजगार बढ़ा है।
इसके अलावा नई योजना में खर्च का बड़ा बोझ राज्यों पर डाल दिया गया है, जिससे पहले से ही आर्थिक दबाव झेल रहे राज्यों की हालत और खराब हो सकती है। सोनिया गांधी ने इसे ग्रामीण भारत के लिए एक बड़ा नुकसान बताया और सरकार से इस फैसले पर दोबारा सोचने की अपील की है।
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