Justice Yashwant Verma: सुप्रीम कोर्ट ने कैश कांड से संबंधित मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा को करारा झटका देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है। उन्होंने अपनी याचिका में जांच समिति की रिपोर्ट और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा उन्हें पद से हटाने की सिफारिश को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट की दो टूक
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने कहा कि जस्टिस वर्मा का व्यवहार ऐसा नहीं है जिससे न्यायपालिका में भरोसा कायम हो, इसलिए उनकी याचिका पर गौर नहीं किया जा सकता। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि इन-हाउस जांच समिति का गठन और उसकी जांच प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी और उचित रही है। तय नियमों का पालन किया गया है और जांच में पारदर्शिता की कमी का आरोप सही नहीं ठहराया जा सकता।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने माना कि जांच रिपोर्ट के साथ फोटो और वीडियो अपलोड नहीं किए गए, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं माना गया था। कोर्ट ने कहा, “हमने पहले ही स्पष्ट किया था कि इनकी आवश्यकता नहीं है और उस समय आपने (जस्टिस वर्मा ने) इसे चुनौती भी नहीं दी थी।”
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो पत्र भेजा गया था, वह असंवैधानिक नहीं था। कोर्ट ने कहा कि यह पत्र प्रक्रिया का हिस्सा था और इसमें कोई कानूनी त्रुटि नहीं है।
क्या है पूरा मामला?
14 मार्च की रात जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी आवास में अचानक आग लग गई थी। उस समय जस्टिस वर्मा घर पर मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके परिवार के सदस्यों ने तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचित किया। दिल्ली फायर डिपार्टमेंट की टीम ने मौके पर पहुंचकर आग बुझाई।
इस घटना के बाद मीडिया में ऐसी खबरें सामने आईं कि जस्टिस वर्मा के घर में भारी मात्रा में नकदी देखी गई थी, जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया। इसके बाद 20 मार्च को तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने कॉलेजियम की बैठक बुलाई, जिसमें जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट किए जाने का प्रस्ताव सामने आया।
साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को इस मामले की जांच सौंप दी गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश की गई थी।
फायर ब्रिगेड चीफ का बड़ा बयान
मामले में एक बड़ा मोड़ तब आया जब दिल्ली फायर ब्रिगेड के चीफ अतुल गर्ग ने मीडिया में बयान दिया कि उनके कर्मचारियों को जस्टिस वर्मा के आवास पर किसी तरह की नकदी नहीं दिखी। उन्होंने कहा कि फायर फाइटर्स केवल आग बुझाने पर ध्यान दे रहे थे और किसी भी संदिग्ध वस्तु की जानकारी उन्हें नहीं मिली।
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