Panchkula News: हरियाणा के पंचकूला से मंगलवार की सुबह जो खबर सामने आई, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। एक पूरा परिवार—माता-पिता, पति-पत्नी और तीन मासूम बच्चे जिंदगी की मुश्किलों से हारकर मौत को गले लगा बैठे। इस परिवार ने कार में बैठकर सामूहिक रूप से ज़हर खा लिया। मरने से पहले परिवार के मुखिया ने एक आखिरी मैसेज में लिखा, “हम सभी ने ज़हर खा लिया है और 5 मिनट में मैं भी मर जाऊंगा…”। इस दिल दहला देने वाली घटना की वजह बना कर्ज का बोझ, जिसने एक हंसते-खेलते परिवार को खत्म कर दिया।
यह घटना अपने आप में अकेली नहीं है। देश में ऐसे सामूहिक आत्महत्या के मामलों की लंबी फेहरिस्त है। इन घटनाओं के पीछे की कहानियां बेहद दर्दनाक हैं और एक ही सवाल खड़ा करती हैं—आखिर ऐसा क्यों?
चार बेटियों के साथ आत्महत्या
दिल्ली के वसंतकुंज के रंगपुरी इलाके में साल 2024 में एक और दुखद मामला सामने आया था। एक व्यक्ति ने अपनी चार विकलांग बेटियों के साथ ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली। बताया गया कि पत्नी की मौत और आर्थिक तंगी के कारण वह डिप्रेशन में चला गया था। पड़ोसियों को जब घर से बदबू आई, तब पुलिस को बुलाया गया। दरवाजा तोड़ा गया तो अंदर से पांच शव बरामद हुए। सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि आत्महत्या से पहले व्यक्ति अपनी बेटियों के लिए मिठाई लाया था।
मध्यप्रदेश और सूरत में भी ऐसे मामले
सूरत में साल 2023 में एक परिवार के सात सदस्यों ने आत्महत्या कर ली थी, जिनमें आठ साल से कम उम्र के बच्चे भी शामिल थे। मौके से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें ज़हर खाने का ज़िक्र था। वहीं, मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले में 2024 में एक किसान और उसके परिवार के पांच लोगों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। किसी को अंदाजा नहीं था कि इस परिवार पर ऐसा कोई संकट था।
बुराड़ी कांड: एक रहस्य
जब भी सामूहिक आत्महत्या की बात होती है, तो दिल्ली के बुराड़ी कांड का ज़िक्र ज़रूर होता है। 1 जुलाई 2018 को भाटिया परिवार के 11 लोगों की लाशें उनके घर में मिली थीं। जांच में सामने आया कि परिवार धार्मिक अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र के प्रभाव में था। इस घटना ने पूरे देश को हैरान कर दिया था। तीन साल की लंबी जांच के बावजूद पुलिस किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई और क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी गई। यह मामला आज भी एक रहस्य बना हुआ है।
आत्महत्या के बढ़ते आंकड़े
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्याओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2022 में 1.71 लाख लोगों ने आत्महत्या की, जो 2021 की तुलना में 4.2% अधिक है। 2018 के मुकाबले यह आंकड़ा 27% ज्यादा है। 1967 के बाद 2022 में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं दर्ज की गईं। वर्ष 2012 में जहां 88,553 पुरुष और 46,992 महिलाएं आत्महत्या करने वालों में शामिल थीं, वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 1,71,000 हो गई, जिनमें 1,22,724 पुरुष और 48,172 महिलाएं थीं।