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विशेष बच्चों के लिए आशा की किरण, ब्रेन क्लिनिक और ऑटिज्म रिहैबिलिटेशन सेंटर का अनूठा प्रयास

by | Jun 6, 2025 | ख़बर, बड़ी खबर, मुख्य खबरें

आज के तेजी से बदलते सामाजिक और शैक्षणिक परिवेश में हर बच्चे से यह अपेक्षा की जाती है कि वह विकास के सामान्य मानकों पर खरा उतरे समय पर बोले, पढ़े-लिखे, समझे और सामाजिक व्यवहार सीख ले। परंतु कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो इस सामान्य विकासक्रम से भिन्न होते हैं। वे न तो समय पर बोल पाते हैं, न ही आंखों में आँखें डालकर संवाद कर पाते हैं, और न ही सामान्य सामाजिक वातावरण में सहज महसूस कर पाते हैं। ऐसे बच्चों को हम विशेष आवश्यकता वाले बच्चे कहते हैं।

इन बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD), स्पीच एंड लैंग्वेज डिले, ADHD, लर्निंग डिसेबिलिटी, डाउन सिंड्रोम और सेंसरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर जैसी स्थितियाँ हो सकती हैं। ये समस्याएं उनके शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक विकास को प्रभावित करती हैं। दुर्भाग्यवश, हमारे समाज में अब भी ऐसे बच्चों को लेकर पर्याप्त जागरूकता नहीं है। माता-पिता अक्सर इन लक्षणों को गलत समझते हैं और बच्चों को डांटना या सज़ा देना ही समाधान मान बैठते हैं, जबकि वास्तव में इन्हें समझने, जांच करवाने और सही हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

इन्हीं चिंताओं के समाधान हेतु ब्रेन क्लिनिक और ऑटिज्म रिहैबिलिटेशन सेंटर एक आशा की किरण बनकर उभरा है। यह केंद्र उन बच्चों के लिए एक सुरक्षित, सहायक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला माहौल प्रदान करता है, जो सामान्य से भिन्न विकासक्रम रखते हैं। इस केंद्र का संचालन डॉ. राकेश कुमार और डॉ. वंदना द्वारा किया जा रहा है, जो बाल मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरोडेवलपमेंटल विकारों के क्षेत्र में वर्षों का अनुभव रखते हैं।

डॉ. राकेश का मानना है कि “हर बच्चा अलग है, लेकिन कोई भी बच्चा असंभव नहीं है। ज़रूरत है समय पर पहचान और सही दिशा की।” इस उद्देश्य को साकार करने के लिए यहाँ एक प्रशिक्षित और समर्पित विशेषज्ञों की टीम कार्यरत है।

इस केंद्र की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ हर बच्चे को व्यक्तिगत रूप से समझा जाता है और उसके लिए एक Individualized Education Program (IEP) तैयार किया जाता है। विशेष शिक्षिका सुश्री गीतांक्षी बच्चों की शैक्षणिक कठिनाइयों को समझकर ध्यान, समझ, लेखन, गणना और सामाजिक व्यवहार के विकास पर कार्य करती हैं। उनके निर्देशन में कई बच्चे अब नियमित स्कूलों में पढ़ाई करने में सक्षम हो रहे हैं।

ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट श्री अनुकेत उन बच्चों के साथ काम करते हैं जिन्हें मोटर स्किल्स (जैसे पकड़, संतुलन, शरीर नियंत्रण), सेंसरी प्रोसेसिंग (आवाज़, गंध, स्पर्श आदि) या दैनिक जीवन की गतिविधियों में कठिनाई होती है। वे बच्चों को स्वावलंबी बनाने और जीवन कौशल सिखाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

स्पीच थैरेपिस्ट श्री दीपक कुमार उन बच्चों की मदद करते हैं जिन्हें बोलने, उच्चारण करने या संवाद करने में कठिनाई होती है। उनकी थैरेपी के जरिए कई बच्चों ने न केवल शब्दों को बोलना सीखा, बल्कि पहली बार अपने माता-पिता को ‘मां’ और ‘पापा’ कहकर परिवार की आंखों में आंसू ला दिए।

इस केंद्र की एक और अहम विशेषता है कि केवल बच्चे ही नहीं, उनके माता-पिता को भी नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाता है। डॉ. वंदना का स्पष्ट मत है कि “परिवार ही बच्चे का पहला और सबसे प्रभावशाली शिक्षक होता है।” माता-पिता को सिखाया जाता है कि वे घर पर बच्चे के व्यवहार, भाषा और सामाजिक कौशल को कैसे बेहतर बना सकते हैं।

ब्रेन क्लिनिक और ऑटिज्म रिहैबिलिटेशन सेंटर सिर्फ एक चिकित्सा स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा संवेदनशील और सुरक्षित वातावरण है जहाँ बच्चे डर और हिचक छोड़कर सहज महसूस करते हैं और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं। यहाँ अब तक दर्जनों बच्चों की ज़िंदगी में सकारात्मक परिवर्तन देखा गया है, और यह केंद्र लगातार समाज में जागरूकता फैलाने के प्रयासों में भी जुटा हुआ है।

यह हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि ऐसे प्रयासों को समर्थन दें, ताकि कोई भी बच्चा केवल ‘विशेष’ होने की वजह से जीवन की मुख्यधारा से वंचित न रहे। समाज तभी समग्र रूप से विकसित हो सकता है जब हर बच्चा अपनी पूरी क्षमता से जी सके, आत्मनिर्भर बन सके और गर्व के साथ समाज का हिस्सा बन सके।

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