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इलाहाबाद HC ने तलाक की अर्जी को किया मंजूर, कहा – पति-पत्नी को साथ में रहने के लिए विवश करना जनहित में ज्यादा हानिकारक

by | Oct 18, 2023 | मुख्य खबरें

इलाहाबाद से एक चौंका देने वाली खबर आई है आपको बता दें कि इलहाबाद हाई कोर्ट (HC) ने एक मामले को लेकर कहा है कि एक दंपति को साथ रहने के लिए विवश करना, लोक- कल्याण के लिए विवाह भंग करने से कहीं ज्यादा हानिकारक है। वही अदालत ने निचली अदालत के फैसले को एक तरफ करके पति की तलाक की अर्जी को मंजूरी दे दी है।

क्या है पूरा मामला

अशोक झा नाम के व्यक्ति की पहली अपील को मंजूर करते हुए न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ ने बताया कि, ‘‘इस मामले में दोनों पक्षों ने विवाह की पवित्रता भंग करने के आरोप एक दूसरे पर लगाया हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘यह दंपति 10 साल से भी ज्यादा समय से एक दूसरे से अलग रह रहे है। एवं पत्नी द्वारा भी पति के खिलाफ आपराधिक शिकायतों समेत कई मामले दर्ज कराए गए है। साथ ही पति उत्पीड़न के सभी प्रयास किए गए हैं।’’

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अदालत का कहना है कि, ‘‘ पत्नी के खिलाफ अपीलकर्ता ने भी अपनी मामला दर्ज कराया है। इस स्थिति में प्रतिवादी (पत्नी) अपीलकर्ता के साथ किसी तरह की सुलह करने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए, इस मामले में दंपति को साथ रहने के लिए विवश करना अत्यधिक हानिकारक साबित हो सकता है। इस मामले में अदालत ने पति के उत्पीड़न का हवाला देते हुए पति पत्नी के बीच के संबंध विच्छेद कर दिया।

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पिछले शुक्रवार को हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि, ‘‘ वही इस मामले के तथ्यों से यह साबित होता है कि दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर आपराधिक आरोप के मामले दर्ज करवाए हैं। दोनों के बीच संपत्ति को लेकर गंभीर विवाद चल रहे है। दोनों पक्ष इसके अलावा भी एक दूसरे पर विवाहेतर संबंध के भी आरोप लगाए हैं। इसलिए, एक दूसरे के प्रति घृणा के बाद भी उन्हें साथ रहने के लिए मजबूर करना क्रूरता के समान होगा।

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