UP Politics : लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आए हुए तीन महीने से अधिक का समय हो चुका है लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2019 के लोकसभा चुनावों की चर्चाएँ अब भी जारी हैं। खासकर समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच गठबंधन टूटने का मामला इन दिनों राजनीतिक गलियारों में प्रमुख चर्चा का विषय बना हुआ है।
गठबंधन के टूटने के पीछे के कारणों पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला लगातार जारी है। हाल ही में, मायावती ने अखिलेश यादव के बयान का जवाब देते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि, 2019 लोकसभा चुनाव के बाद गठबंधन टूटने के बाद, सपा प्रमुख ने उनके फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि, बसपा सैद्धांतिक कारणों से गठबंधन नहीं करती, और अगर कभी गठबंधन करती है तो उसके प्रति ईमानदार रहती है। सपा के साथ 1993 और 2019 में हुए गठबंधन को निभाने का भरपूर प्रयास किया गया, लेकिन बहुजन समाज का हित और आत्म-सम्मान सर्वोपरि है।
मायावती और सपा प्रमुख के बीच आरोप-प्रत्यारोप का जारी सिलसिला
इस विवाद (UP Politics) पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने कहा, जब गठबंधन टूटा, मैं आज़मगढ़ में सभा में था। सपा और बसपा के कार्यकर्ता वहां मौजूद थे और किसी को भी यह नहीं पता था कि गठबंधन टूटने जा रहा है। मैंने खुद फोन मिलाया था कि गठबंधन क्यों तोड़ा जा रहा है। उन्होंने हिन्दी दिवस पर एक कार्यक्रम में यह भी कहा कि, दानवीरता और त्याग का कर्ण से बड़ा कोई उदाहरण नहीं। राजनीति में हमें विचारों और सिद्धांतों को लेकर त्याग करना होगा। कुछ परिस्थितियां ऐसी रही, जिसकी वजह से गठबंधन नहीं चला। जब गठबंधन टूटने का एलान हुआ, तो मेरी बाई तरफ बैठे बीएसपी के नेता ने कहा कि ऐसा धोखा मुझे भी मिला था, आपको भी मिला है।
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बसपा के वरिष्ठ नेता ने अखिलेश पर साधा निशाना
इसके जवाब में बसपा के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्र ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन टूटने की वजह सपा मुखिया खुद हैं। मिश्र ने बताया कि मायावती ने कई बार सपा प्रमुख से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सकीं। उन्होंने कहा कि मायावती ने बड़े होने के नाते सपा प्रमुख को हौसला बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने बात नहीं की। इस सबके परिणामस्वरूप बसपा को गठबंधन तोड़ना पड़ा।
सपा और बसपा (UP Politics) नेतृत्व के इन बयानों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और दोनों पार्टियों के बीच की खाई अब और चौड़ी हो गई है। गठबंधन टूटने की सच्चाई का खुलासा अब तक नहीं हुआ है, लेकिन आरोप-प्रत्यारोप की इस जंग ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है।
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