Delhi Bus: एक समय था जब दिल्ली की महिलाएं गर्व से मुस्कुराकर कहती थीं कि “हमारी दिल्ली की बसों में सफर फ्री है”, लेकिन अब उनकी वो मुस्कान फीकी पड़ गई है। वजह है दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का हालिया ऐलान, जिसमें उन्होंने साफ कर दिया है कि अब केवल उन्हीं महिलाओं को फ्री बस यात्रा की सुविधा मिलेगी जिनके पास दिल्ली का आधार कार्ड होगा।
अब पिंक टिकट नहीं, पिंक पास मिलेगा
2019 में आम आदमी पार्टी की सरकार ने डीटीसी और क्लस्टर बसों में महिलाओं के लिए फ्री यात्रा की शुरुआत की थी। उस समय महिलाओं को पिंक टिकट जारी किए जाते थे। लेकिन अब इस योजना में बदलाव करते हुए पिंक पास प्रणाली शुरू की जा रही है, और यह सुविधा सिर्फ दिल्ली की महिला निवासियों को ही उपलब्ध होगी।
इस नई व्यवस्था के तहत, जिन महिलाओं का आधार दिल्ली का नहीं है, उन्हें अब डीटीसी या क्लस्टर बसों में सफर करने के लिए टिकट का भुगतान करना होगा। इससे दिल्ली में रहने और काम करने वाली हजारों महिलाओं पर सीधा आर्थिक असर पड़ेगा।
बाहर की महिलाओं की परेशानी – “हम भी दिल्ली की मेहनतकश महिलाएं हैं”
दिल्ली में बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं रहती हैं जो दिल्ली में काम तो करती हैं लेकिन उनका स्थायी निवास किसी अन्य राज्य में है। सरकार के इस फैसले से वे खुद को अलग-थलग महसूस कर रही हैं।
- सीमा देवी (घरेलू कामगार, मूल निवासी – बिहार)
Seema ने कहा कि “मैं पिछले 15 साल से द्वारका में काम करती हूं। सुबह 4 बजे निकलती हूं, 5 घरों में काम करती हूं। अब अगर किराया देना पड़ा तो महीने में 500-600 रुपये खर्च बढ़ जाएंगे। ये भेदभाव क्यों? दिल्ली ने हमें रोजगार दिया, अब हमसे ही दूरी क्यों?”
- सुमन शर्मा (नर्सिंग असिस्टेंट, मूल निवासी – उत्तर प्रदेश)
Suman ने कहा कि “मैं नोएडा में रहती हूं और AIIMS के पास एक क्लिनिक में काम करती हूं। मेरा आधार यूपी का है, लेकिन काम दिल्ली में है। अब बस का किराया देना पड़ेगा तो सैलरी से कटौती करनी पड़ेगी। ये गलत है।”
- राधा (सेल्सगर्ल, मूल निवासी – राजस्थान)
Radha ने कहा कि “मैं जनकपुरी के शोरूम में काम करती हूं। तनख्वाह पहले ही कम है। अब किराया दूंगी तो मां को दवाइयां भेजना मुश्किल हो जाएगा।”
- अनिता कुमारी (फूड पैकिंग वर्कर, मूल निवासी – झारखंड)
Anita ने कहा कि “मैं पिछले 8 साल से इंदिरापुरम से दिल्ली आ रही हूं काम पर। बस फ्री थी तो नौकरी बची हुई थी, अब शायद छोड़नी पड़े। हम भी दिल्ली की मेहनतकश महिलाएं हैं, हमें क्यों अलग किया गया?”
- प्रियंका (बीए छात्रा और पार्ट टाइम ट्यूटर, मूल निवासी – मध्यप्रदेश)
Priyanka ने कहा कि“मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती हूं और ट्यूशन भी लेती हूं। किराये का कमरा है, आधार घर का है। फ्री बस यात्रा से बहुत सहूलियत थी। अब किराया देने पर महीने का बजट बिगड़ जाएगा।”
क्या कहता है नया नियम?
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नए आदेश के अनुसार:
- केवल उन्हीं महिलाओं को फ्री बस यात्रा की सुविधा मिलेगी जिनके पास दिल्ली का आधार कार्ड है।
- अब पिंक टिकट की जगह पिंक पास दिया जाएगा।
- दिल्ली की 12 साल या उससे अधिक उम्र की महिलाओं और ट्रांसजेंडर निवासियों को डीटीसी और क्लस्टर बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलेगी।
- दिल्ली के बाहर की महिलाएं जो यहां काम करती हैं या पढ़ाई करती हैं, उन्हें अब किराया देना होगा।
फैसले पर उठते सवाल
सरकार का यह फैसला भले ही दिल्ली के संसाधनों को स्थानीय नागरिकों तक सीमित रखने की कोशिश हो, लेकिन इसका सीधा असर उन हजारों महिलाओं पर पड़ेगा जो दिल्ली की अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं, लेकिन आधार किसी दूसरे राज्य का है।
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