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Delhi News: दिल्ली वालों ने भारत बंद को कहा NO! दुकानें और ऑफिस खुले, ट्रैफिक भी नॉर्मल, जानें ग्राउंड रिपोर्ट

by | Jul 9, 2025 | ट्रेंडिंग, बड़ी खबर, मुख्य खबरें, राजनीति

Delhi News: देश के 10 बड़े व्यापारिक संगठनों के संयुक्त संघ ने केंद्र सरकार की नीतियों, खासकर नए लेबर कोड और निजीकरण के खिलाफ बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया था। लेकिन राजधानी दिल्ली और एनसीआर में इसका कोई खास असर नजर नहीं आया।

दिल्ली के प्रमुख बाजार, जैसे कनॉट प्लेस, चांदनी चौक, शाहदरा, कृष्णा नगर और नांगलोई समेत लगभग सभी इलाके आम दिनों की तरह खुले रहे। सरकारी और निजी दफ्तरों में भी उपस्थिति सामान्य रही और पब्लिक ट्रांसपोर्ट बिना किसी रुकावट के चलता रहा।

हालांकि कुछ ट्रेड यूनियनों के कर्मचारी जंतर मंतर पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन करते नजर आए, लेकिन इससे दिल्ली के बाकी हिस्सों पर कोई असर नहीं पड़ा। पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे, ताकि कोई जबरन दुकान बंद करवाने या ट्रैफिक रोकने की कोशिश न कर सके। दिल्ली पुलिस ने बताया कि शहर में हालात पूरी तरह सामान्य हैं।

शाहदरा और पूर्वी दिल्ली के इलाकों में भी दुकानें, बीमा कंपनियां, कोरियर सेवाएं और अन्य कार्यालय सामान्य रूप से खुले रहे। नांगलोई विधानसभा क्षेत्र में भी ई-रिक्शा, टैक्सी और फल विक्रेता पहले की तरह ही अपना काम कर रहे थे। स्थानीय दुकानदारों और चालकों ने बताया कि उन्हें हड़ताल की कोई जानकारी या नोटिस नहीं मिला।

रेलवे यूनियनों ने हड़ताल का नैतिक समर्थन तो किया, लेकिन उन्होंने सेवाएं बंद नहीं कीं। उन्होंने कहा कि अगर रेल सेवाएं बंद की जाती हैं तो सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को होगा — जैसे मरीजों, छात्रों और दफ्तर जाने वालों को।

चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि भारत बंद पूरी तरह से बेअसर रहा है। उन्होंने बताया कि देशभर के वाणिज्यिक बाजार और कारोबारी केंद्र सामान्य रूप से खुले रहे और व्यापारिक गतिविधियां चलती रहीं।

हड़ताल की अपील करने वाले संगठनों में इंटक, एटक, सीटू, एआईयूटीयूसी, एचएमएस और यूटीयूसी शामिल हैं। इन यूनियनों का कहना है कि सरकार की नीतियां मजदूर, किसान और आम जनता के खिलाफ हैं और पूरी तरह से कॉर्पोरेट्स के हित में बनाई गई हैं। उनका आरोप है कि नए श्रम कानूनों से मजदूरों के अधिकार छिन गए हैं और वे न्यूनतम वेतन, सुरक्षित रोजगार और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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