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Maharashtra News: हिंदी को लेकर महाराष्ट्र में सियासत गरमाई, मनसे का विरोध तेज – स्कूलों में किताबें फाड़ी, चेतावनी पत्र थमाए

by | Jun 18, 2025 | ट्रेंडिंग, बड़ी खबर, मुख्य खबरें, राजनीति

Maharashtra News: महाराष्ट्र में एक बार फिर हिंदी भाषा को लेकर विवाद गहरा गया है। राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने मोर्चा खोल दिया है। पार्टी प्रमुख राज ठाकरे के नेतृत्व में मनसे कार्यकर्ताओं ने मुंबई, ठाणे, नासिक समेत कई इलाकों में स्कूलों में जाकर हिंदी की पाठ्यपुस्तकों को फाड़ा, उन्हें जलाया और प्रिंसिपलों को चेतावनी भरे पत्र सौंपे।

राज ठाकरे ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा “हिंदी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है, इसे जबरन राज्य पर न थोपा जाए। यह सब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के नाम पर राज्य और केंद्र की मिलीभगत है और इसके पीछे IAS लॉबी का दबाव है।”

उन्होंने बताया कि उन्होंने 17 जून को ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था, जिसमें हिंदी को अनिवार्य भाषा न बनाने की मांग की गई थी। “मुख्यमंत्री ने कहा था कि अनिवार्यता हटा दी जाएगी, लेकिन अब भी स्कूलों पर दबाव बनाया जा रहा है,” उन्होंने कहा।

राज ठाकरे ने स्कूलों के प्रिंसिपलों को चेतावनी देते हुए कहा “हम देखेंगे कि स्कूलों में छात्र हिंदी कैसे पढ़ते हैं। अगर सरकार ने यह निर्णय वापस नहीं लिया तो हम चुप नहीं बैठेंगे।”

इसके बाद मनसे कार्यकर्ताओं ने स्कूलों में जाकर हिंदी की किताबों को फाड़ा और विरोध प्रदर्शन किया। कई स्थानों पर स्कूल प्रशासन को आक्रामक अंदाज में चेतावनी पत्र भी सौंपे गए।

हाल ही में महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने एक सरकारी निर्णय (GR) जारी किया था, जिसके अनुसार त्रिभाषा फार्मूले के तहत कक्षा 1 से 5 तक मराठी और अंग्रेज़ी के साथ हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाना प्रस्तावित था। हालांकि विवाद के बाद सरकार ने ‘अनिवार्यता’ शब्द को हटा दिया है और स्पष्ट किया है कि यह वैकल्पिक रहेगा।

GR में कहा गया है कि यदि किसी कक्षा में 20 से अधिक छात्र हिंदी की जगह कोई और भाषा पढ़ना चाहें, तो उनके लिए उपयुक्त शिक्षक उपलब्ध कराए जाएंगे या ऑनलाइन शिक्षा दी जाएगी।

Maharashtra के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा “मैंने राज ठाकरे से बात की है और उन्हें समझाया है कि GR में कहीं भी ‘अनिवार्य’ शब्द का उल्लेख नहीं है। यह त्रिभाषा फार्मूले का हिस्सा है और छात्रों को तीसरी भाषा चुनने की पूरी स्वतंत्रता दी गई है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि पहले से ही कई स्कूलों में मराठी और अंग्रेज़ी के बाद हिंदी पढ़ाई जा रही है, अब सिर्फ इसे औपचारिक रूप से शामिल किया गया है।

कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि यह कदम भाषा की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है। प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा “त्रिभाषा फार्मूला पंडित नेहरू की सोच थी, ताकि हर मातृभाषा का संरक्षण हो। लेकिन अब इसे आरएसएस के हिंदू राष्ट्र एजेंडे के तहत जबरन हिंदी थोपने की कोशिश के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि मराठी सिर्फ भाषा नहीं, एक संस्कृति है, और इस प्रकार की नीतियां उसकी आत्मा को ठेस पहुंचाती हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी BMC (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) चुनाव (Maharashtra)को ध्यान में रखते हुए उछाला गया है। राज ठाकरे पहले भी मराठी अस्मिता और भाषाई पहचान के मुद्दे को लेकर राजनीति करते रहे हैं। इस बार भी यही रणनीति अपनाई जा रही है ताकि मराठी वोट बैंक को साधा जा सके।

राज्य में स्कूल खुल चुके हैं, और बच्चे पाठ्यपुस्तकें खरीद चुके हैं, लेकिन इस सियासी घमासान ने अब छात्रों की पढ़ाई के बीच बाधा डाल दी है। भाषा के नाम पर उठे इस विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राजनीति की लड़ाई स्कूलों की चौखट तक पहुंचनी चाहिए?

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