Supreme Court News: मध्य प्रदेश में रेत माफिया पर रिपोर्टिंग करने गए पत्रकारों के साथ कथित मारपीट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है।
यह मामला तब सामने आया जब पत्रकार शशिकांत गोयल और अमरकांत सिंह चौहान ने याचिका दाखिल कर कोर्ट से न्याय की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि रेत माफिया के खिलाफ खबर बनाने पर पुलिस स्टेशन में ही उनके साथ मारपीट की गई।
“राज्य भी अपना पक्ष रखे” – सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दी और कहा कि इस मामले में राज्य सरकार को भी तथ्य रखने का मौका दिया जाएगा। पत्रकारों के वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया कि याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी जाए, लेकिन कोर्ट ने कहा कि पहले राज्य का जवाब आने दिया जाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 जून 2025 को होगी।
दिल्ली हाई कोर्ट से मिली सुरक्षा
इससे पहले 28 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने पत्रकार अमरकांत सिंह चौहान को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया था। उन्होंने दावा किया था कि भिंड जिले के पुलिस अधीक्षक ने उनके साथ मारपीट की और उनकी जान को खतरा है। इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दो महीने तक सुरक्षा देने का निर्देश दिया।
क्या है पूरा मामला?
दोनों पत्रकारों ने यह आरोप लगाया है कि वे जब भिंड जिले में रेत माफिया पर रिपोर्टिंग कर रहे थे, तब उन्हें वहां की पुलिस द्वारा पुलिस स्टेशन में ही पीटा गया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनकी रिपोर्टिंग से रेत माफिया और कुछ स्थानीय अधिकारी नाराज थे, और इसी कारण उन्हें निशाना बनाया गया।
क्या कहता है यह मामला?
यह केस सिर्फ दो पत्रकारों का नहीं है, बल्कि यह सवाल खड़ा करता है कि क्या भारत में निष्पक्ष पत्रकारिता करना अब भी सुरक्षित है? क्या सच दिखाने वालों को मारपीट और धमकी का सामना करना पड़ेगा?
अब सबकी निगाहें 9 जून को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।
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