Agra News : आगरा पुलिस ने आईआईटी जम्मू के एक छात्र को चलती कार में इंजीनियरिंग छात्रा से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान शिवांश सिंह के रूप में हुई है, जिसे जम्मू से बुलाया गया और पीड़िता से उसका आमना-सामना कराया गया। बताया जा रहा है कि आरोपी कॉलेज में पीड़िता का सीनियर था।
सिकंदरा थाने के इंस्पेक्टर नीरज शर्मा ने बताया कि शिवांश के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं। आरोप है कि वह लंबे समय से पीड़िता का शारीरिक और मानसिक शोषण कर रहा था, जिससे वह डिप्रेशन में चली गई। शुरुआती जांच के आधार पर उसके खिलाफ कार्रवाई की गई और उसे आज यानी बुधवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
मामले ने तब नया मोड़ ले लिया जब पता चला कि पीड़िता ने 16 दिन पहले यानी 11 अगस्त को न्यू आगरा और हरीपर्वत थाने में शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सिकंदरा थाने पहुंचने के बाद ही उसकी शिकायत दर्ज की गई। पीड़िता के अनुसार, शिवांश ने चलती कार में उसके साथ बलात्कार किया और बाद में उसे अर्धनग्न अवस्था में सड़क किनारे छोड़ दिया।
हालांकि पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया, लेकिन उन्होंने तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की। चूंकि आरोपी जम्मू में था, इसलिए अधिकारियों को शुरू में पीड़िता के दावों पर संदेह हुआ। पीड़िता लखनऊ के तकरोही की रहने वाली है और आगरा के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रही है, जबकि मूल रूप से गाजीपुर के जखनिया के चौजाखरा का रहने वाला शिवांश सिंह उसी कॉलेज का पूर्व छात्र है और वर्तमान में आईआईटी जम्मू में आगे की पढ़ाई कर रहा है।
आरोपी को देखकर पीड़िता की प्रतिक्रिया
पुलिस (Agra ) के अनुसार, पीड़िता की मां थाने पहुंची थी और आरोपी शिवांश सिंह को पीड़िता के सामने जम्मू से लाया गया था। उसे देखते ही पीड़िता भड़क गई और न्याय की मांग करते हुए उसे जेल भेजने की मांग की। उसने शिवांश पर कई गंभीर अपराधों का आरोप लगाया। यह भी पता चला कि आरोपी ने पहले पीड़िता की मां से फोन पर बात की थी और उनके कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि पीड़िता से लगातार बातचीत होती थी, जिससे अपराध में उसकी संलिप्तता और भी बढ़ गई।
पीड़िता के सार्वजनिक विरोध के बाद ही पुलिस ने की कार्रवाई
शिकायत के बावजूद (Agra ) सिकंदरा पुलिस ने तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे पीड़िता को 14 दिनों तक खुद के हाल पर छोड़ दिया गया। जब उसने बार-बार अपने मामले के बारे में पूछताछ की, तो पुलिस ने उसे भगा दिया। निराश होकर वह सिकंदरा थाने की दयालबाग पुलिस चौकी गई और अधिकारियों से भिड़ गई। बाद में वह मऊ रोड पर चली गई, जहां उसने विरोध में अपने कपड़े उतार दिए।
यह दृश्य देखकर वहां मौजूद लोग वीडियो बनाने लगे। एक राहगीर ने सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस को इसकी जानकारी दी, जो एक महिला डॉक्टर और उसके स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने पीड़िता को कपड़े पहनाए और उसे एक निजी अस्पताल ले गए।
अस्पताल में पीड़िता की हालत
नरेश पारस ने बताया कि रविवार, 25 अगस्त को सुबह 11 बजे के आसपास उन्हें एक कॉल आया, जिसमें बताया गया कि एक लड़की मऊ रोड पर नग्न अवस्था में बैठी है और लोग उसे घेरकर वीडियो बना रहे हैं। वह उसे एक निजी अस्पताल ले गए, जहां वह एक घंटे से अधिक समय तक बेहोश रही। जब उसे होश आया, तो उसका पहला सवाल था, “मैं यहां कैसे पहुंची?” उसके बाद उसने पानी मांगा। उसने गिलास या खुली बोतल से पानी पीने से इनकार कर दिया, आखिरकार उसने सीलबंद बोतल ही ली जिसे उसने खुद खोला। फिर उसने शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए कहा और क्लिनिक से चली गई।
पीड़िता ने (Agra) पुलिस के प्रति अविश्वास व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे पुलिस पर भरोसा नहीं है।” वह सड़क पर इधर-उधर भटकती रही और खुद से बड़बड़ाती रही। तब तक पुलिस आ चुकी थी, लेकिन उसने उनकी पहचान सत्यापित करने पर जोर दिया और कहा, “मेरे सामने 112 पर कॉल करो; तभी मुझे विश्वास होगा कि वे असली पुलिस वाले हैं।” काफी समझाने के बाद, उसे यकीन हो गया कि अधिकारी असली थे। महिला डॉक्टर ने उसे मानसिक अस्पताल में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया और उसे अंततः पांच घंटे बाद शाम 4 बजे भर्ती कराया गया।