Kanpur News : इंसानियत की सारी हदें की पार, दरिंदो को नहीं आई मासूम पर दया। पहले मासूम के साथ किया सामूहिक दुष्कर्म, फिर शरीर के किये टुकड़े उसके बाद कलेजा निकलकर खा लिया। आइये आपको बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है। ये मामला कानपुर देहात की जिला अदालत ने 2020 में दिवाली की रात सात साल की बच्ची के साथ जघन्य हत्या और अंग निकालने के मामले में तीन साल की लंबी परीक्षण प्रक्रिया के बाद इसमे शामिल चार दोषियों को शनिवार आजीवन कारावास और भारी जुर्माने की सजा सुनाई।
शनिवार को सुनाया फैसला
आरोपी दंपत्ति, परशुराम और सुनैना को आजीवन कारावास के साथ-साथ रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई। प्रत्येक को 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया, जबकि उनके भतीजे अंकुल और उसके साथी वीरेंद्र को आजीवन कारावास की सजा और 45,000 रुपये का प्रत्येक पर जुर्माना लगाया गया। यह फैसला शनिवार को 13वें पॉक्सो एक्ट कोर्ट में जज बकर शमीम रिजवी ने सुनाया।
ये भी देखे : Priya Singh Case: ‘प्रेमी ने मुझ पर अपनी कार चढ़ा दी’, Maharashtra की Priya Singh ने सुनाई आपबीती
मामला तब शुरू हुआ जब एक ग्रामीण ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी सात वर्षीय बेटी 14 नवंबर, 2020 को अपने घर के बाहर खेलते समय लापता हो गई। अगले दिन, उसका क्षत-विक्षत शव गांव के बाहर एक खेत में मिला। पुलिस ने पिता की शिकायत के आधार पर रिश्तेदार वंशलाल, कमलराम, बाबूराम और सुरेश को संदिग्ध मानते हुए जांच शुरू की।
पूछताछ के दौरान पता चला कि बच्चे की चाह में दंपत्ति, परशुराम और सुनैना ने अंकुल के साथ मिलकर लड़की के अंगों को निकालने और उपभोग करने की साजिश रची थी। अंकुल और वीरेंद्र हत्या और अंगों को बरामद करने के लिए जिम्मेदार थे। बाद में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ बलात्कार और हत्या का आरोप दर्ज किया।
मृतिका की दोस्त ने दी गवाही
मुकदमे के दौरान गवाहों और गवाहियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत किए गए दस गवाहों और 21 महत्वपूर्ण सबूतों ने फैसले का आधार बनाया। पीड़ित के बचपन के दोस्त की गवाही घटनाओं की श्रृंखला को स्थापित करने में विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी।
अभियोजन पक्ष ने सख्त सजा की मांग करते हुए कहा कि आरोपियों ने सात साल की बच्ची के अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या से जुड़ा जघन्य अपराध किया था। कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए फैसला सुनाया और चारों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
बहस के दौरान विशेष लोक अभियोजक, राम रक्षित शर्मा, प्रदीप पांडे और अजय कुमार त्रिपाठी ने अदालत से अपराध की चरम प्रकृति और समाज के ऊपर प्रभाव पर विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आरोपियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए ताकि समाज को ऐसे भयानक कृत्यों से बचाया जा सके।
समुदाय को झकझोर देने वाले एक मामले में, पुलिस ने अंकुल और वीरेंद्र को तुरंत गिरफ्तार कर लिया था। जब उनके कुत्ते के दस्ते ने उन्हें लड़की के शरीर के आसपास से अंकुल के निवास पर वापस ढूंढ लिया था। गहन पूछताछ से अंकुल ने जुर्म कबूल कर लिया, जिससे अपराध की भयावह जानकारी सामने आई।
आजीवन कारावास की सुनाई सजा
मुकदमा अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने के साथ समाप्त हुआ, जिसमें अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, और यह सुनिश्चित किया गया कि वे अपना शेष जीवन सलाखों के पीछे बिताएं। यह मामला बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों को संबोधित करने और दंडित करने में एक मजबूत कानूनी प्रणाली के महत्व की याद दिलाता है।


