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Lok Sabha Election 2024 : बीजेपी के मिशन 80 पर हाथी का खतरा, इन सीटों पर उतारे उम्मीदवार

by | Apr 2, 2024 | अपना यूपी, बड़ी खबर, मुख्य खबरें, राजनीति

Lok Sabha Election 2024 : कहते है कि मोहब्बत और जंग में सब जायज होता है। फिर चाहे जीत पाने के लिए अपने सभी हथियारों साम, दाम, दंड और भेद का इस्तेमाल क्यों ना करना पड़े। इस बार का लोकसभा चुनाव काफी रोमांचक होते जा रहा है। खासकर उत्तर प्रदेश की 80 पर जहां भारतीय जनता पार्टी का लगातार प्रचार अभियान धीरे-धीरे विपक्ष को कमजोर कर रहा है। उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से सपा और कांग्रेस के बीच लड़ाई लगती है, जिसमें मायावती की बसपा मूक लेकिन रणनीतिक भूमिका निभा रही है।

राजनीति में हर बात कही नहीं जाती कुछ बातें ऐसी होती है जिन्हे बिन कहे समझना पड़ता है। ऐसे तरह बसपा सुप्रीमो मायावती उत्तर प्रदेश की 80 सीटों के लिए चुपचाप अपनी रणनीति बनाती नजर आ रही हैं। उनकी रणनीति को लेकर अटकलें तेज हैं, क्योंकि वह न तो गठबंधन बनाती हैं और न ही किसी पार्टी का खुलकर समर्थन करती हैं, फिर भी उनकी रणनीति अस्पष्ट बनी हुई है।

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Lok Sabha Election के लिए बसपा लगातार चुनाव में अपने उम्मीदवार उतार रही है, लेकिन मायावती के उम्मीदवारों की भूमिका और समीकरण अनिश्चित बने हुए हैं। राजनीति के पंडितों का मानना है कि बसपा चुपचाप रहकर भाजपा को कमजोर कर रही है, खासकर कानपुर जैसी सीटों पर, जहां भाजपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार खड़ा किया है। इस कदम से ब्राह्मण वोट बंट सकता है, जिसका फायदा विपक्ष को मिल सकता है।

राजनीतिक परिदृश्य में हर कदम मायने रखता है और इस बार बसपा का मौन मोड भाजपा की संभावनाओं को प्रभावित करता दिख रहा है। उदाहरण के लिए, कानपुर में, जहां बीजेपी का उम्मीदवार पहले दो बार जीत चुका है और फिर से चुनाव लड़ रहा है, वहां बीएसपी का उम्मीदवार समीकरण को चुनौती दे रहा है। जबकि कांग्रेस और सपा को एक निश्चित वोट शेयर का आनंद मिलता है, खासकर विभिन्न जातियों और समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले उम्मीदवारों के साथ बसपा के हस्तक्षेप से संतुलन बिगड़ सकता है।

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Lok Sabha Election से पहले अकबरपुर जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में, बसपा के उम्मीदवार, एक क्षत्रिय, भाजपा के गढ़ को चुनौती दे रहे हैं, जबकि सपा ने महत्वपूर्ण क्षेत्रीय प्रभाव वाले उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। भाजपा के ब्राह्मण उम्मीदवारों के खिलाफ ब्राह्मण उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की बसपा की रणनीति से वोट शेयर विभाजित हो सकता है, जो संभवतः विपक्षी गठबंधन के पक्ष में होगा।

राजनीतिक गलियारों में इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि क्या बसपा बिना किसी गठबंधन के अंदर ही अंदर सपा-कांग्रेस गठबंधन को मजबूत करते हुए बीजेपी को नुकसान पहुंचा रही है। अगर ये अटकलें सच होती हैं तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी मुश्किल में पड़ सकती है। अब, यह देखना बाकी है कि मायावती की चुनावी रणनीति आखिरकार किसके पक्ष में झुकती है और वह इस बार पाई के किस हिस्से पर दावा करेंगी।

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