Mayawati : अंबेडकर जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अंबेडकर महासभा द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का नाम दो बार अलग-अलग संदर्भों में लिया गया। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं मंच पर उपस्थित थे।
पहली बार मायावती का जिक्र अंबेडकर महासभा के अध्यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल ने किया, जब उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस पहल की सराहना की जिसमें उन्होंने सभी सरकारी कार्यालयों में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का चित्र अनिवार्य रूप से लगाए जाने का आदेश दिया। निर्मल ने कहा कि यह साहस मायावती (Mayawati ) भी नहीं कर सकीं, जबकि लोगों की ओर से इसकी काफी मांग की जा रही थी।
लालजी प्रसाद निर्मल का बयान
लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा, “मैं विशेष रूप से उल्लेख करना चाहूंगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसी परिसर से घोषणा की थी कि बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर का चित्र अनिवार्य रूप से सभी सरकारी कार्यालयों में लगाया जाएगा। यह देश में पहली सरकार थी जिसने बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर का चित्र सरकारी स्तर पर लगाए जाने की घोषणा की। यह साहस अगर किसी ने किया तो सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया। लोगों की भारी मांग के बावजूद बहन मायावती यह साहस नहीं कर पाईं। इसके लिए मैं सीएम योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त करता हूं।”
गौरतलब है कि लालजी प्रसाद निर्मल उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य हैं और अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के पूर्व चेयरमैन भी रह चुके हैं।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का तीखा हमला
कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी मंच से अपनी बात रखते हुए मायावती (Mayawati) का जिक्र किया। उन्होंने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि दलितों के हितैषी होने का ढोंग करने वाले ये लोग असल में सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने 1995 में हुए चर्चित गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए कहा कि उस वक्त मायावती पर जानलेवा हमला किया गया था।
ब्रजेश पाठक ने कहा, “आप लोग कभी भी 2 जून के कांड को नहीं भूल पाएंगे जब बहन मायावती पर इन लोगों ने गैस सिलेंडर लगाकर जिंदा जलाने का प्रयास किया था। यही समाजवादी पार्टी के गुंडे थे। आज दलितों का वोट हासिल करने के लिए बात कर रहे हैं। मैं दलित समाज से कहना चाहता हूं केवल भारतीय जनता पार्टी वर्तमान परिस्थितियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक-एक दलित को उसका हक दिलाने का काम कर रही है।”
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में कांशीराम को भी राज्य अतिथि गृह में पंचायत करनी पड़ी थी और दलितों पर अन्याय किया गया था।