Moradabad Gold Smuggling Case: दुबई से सोने के कैप्सूल तस्करी के मामले में नामजद फाइनेंसर पहले तो पुलिस की कार्रवाई के डर से अंडरग्राउंड हो गए थे, लेकिन अब खुलेआम टांडा में घूमते नजर आ रहे हैं। कुछ अपनी दुकानों में आराम से बैठ रहे हैं तो कुछ फैक्ट्रियों में अपना कारोबार संभाल रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि पुलिस ने अब इनकी तलाश ही बंद कर दी है। चर्चा है कि ये फाइनेंसर अब नए तस्करों को तैयार करने में लग गए हैं।
अगवा कर निकाले गए सोने के कैप्सूल
पूरा मामला 23 मई की दोपहर का है। करीब दो बजे रामपुर के टांडा निवासी मो. नावेद, जाहिद, शाने आलम, मुत्तलीब, अजहरुद्दीन, और जुल्फेकार अली को मुरादाबाद-दिल्ली हाईवे पर पुराने टोल के पास कुछ कार सवार लोगों ने अगवा कर लिया था। इनमें से नावेद और जाहिद सऊदी अरब से लौटे थे जबकि बाकी चार लोग दुबई से वापस आए थे।
ये सभी लोग दिल्ली से एक कार में टांडा की ओर जा रहे थे। सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मूंढापांडे क्षेत्र में बदमाशों से इन सभी को छुड़ाया। जब पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि सभी के पेट में सोने के कैप्सूल छिपाए गए हैं। मेडिकल जांच के बाद कुल 29 सोने के कैप्सूल बरामद हुए।
पूछताछ में सामने आए बड़े नाम
पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये लोग रामपुर के टांडा थाना क्षेत्र के कई चर्चित फाइनेंसरों के लिए यह काम कर रहे थे। जिन फाइनेंसरों के नाम सामने आए उनमें शामिल हैं:
- हाजीपुरा निवासी जाहिद मेंबर
- मोहल्ला पड़ाव निवासी मो. रिजवान
- आजाद नगर निवासी मो. हारुन
- हाजी शरीफ (हाजीपुरा)
- हाजी अनीस (हाजीपुरा)
- जुनैद (हाजीपुरा)
- वसीम (रांद मोहल्ला)
- गुड्डू (नज्जीपुरा)
- पप्पू (टांडा निवासी)
इनमें से केवल जाहिद मेंबर को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। बाकी फाइनेंसर फरार हो गए और अंडरग्राउंड हो गए।
अब टांडा में फिर से सक्रिय
कुछ समय तक फरार रहने के बाद अब ये फाइनेंसर टांडा में फिर से दिखाई देने लगे हैं। कोई खुलेआम दुकान चला रहा है, तो कोई फैक्टरी में बैठकर कारोबार संभाल रहा है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि पुलिस ने अब इन पर से ध्यान हटा लिया है और दबिश देना भी बंद कर दिया है।
स्थानीय लोगों में चर्चा है कि ये फाइनेंसर अब नए तस्करों को ट्रेनिंग और संसाधन मुहैया कराकर उन्हें विदेश भेजने की तैयारी में हैं, ताकि तस्करी का नेटवर्क दोबारा सक्रिय किया जा सके।
पुलिस की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
एक तरफ जहां पुलिस ने पहले बड़ी तत्परता से कार्रवाई की थी, वहीं अब इन फरार आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इससे पुलिस की कार्यशैली और मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।
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