Sambhal News: संभल स्थित शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद में एक अहम मोड़ आया है। इस प्रकरण में मस्जिद इंतजामिया कमेटी द्वारा दाखिल की गई सिविल रिवीजन याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, जिससे अब मस्जिद परिसर का सर्वे कराने का रास्ता साफ हो गया है।
इस याचिका में मुस्लिम पक्ष ने मुकदमे की पोषणीयता (Maintainability) पर सवाल उठाते हुए सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी। मगर हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सभी दलीलें खारिज कर दीं और जिला अदालत में मुकदमे की कार्यवाही को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी है।
हाईकोर्ट के फैसले से हिंदू पक्ष को राहत
हाईकोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ी राहत और मुस्लिम पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि संभल (Sambhal) की जिला अदालत में मस्जिद के सर्वे की प्रक्रिया बिना किसी कानूनी रुकावट के आगे बढ़ सकेगी।
यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनाया है। 13 मई को दोनों पक्षों की बहस पूरी हो चुकी थी, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था और अब उसे सार्वजनिक कर दिया गया है।
सर्वे पर लगी थी अंतरिम रोक
इससे पहले मुस्लिम पक्ष की आपत्ति के बाद हाईकोर्ट ने 8 जनवरी को जिला अदालत द्वारा दिए गए सर्वे आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि इस मुकदमे की कोई पोषणीयता नहीं है और यह केवल धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला मामला है। लेकिन हाईकोर्ट ने यह दलील खारिज कर दी।
क्या है पूरा विवाद?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल (Sambhal) की शाही जामा मस्जिद जिस स्थान पर बनी है, वह पहले हरिहर मंदिर हुआ करता था। इस दावे के समर्थन में हिंदू पक्ष ने साक्ष्य जुटाने के लिए अदालत से सर्वेक्षण की मांग की थी। संभल की सिविल कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए एडवोकेट कमिश्नर के माध्यम से सर्वे का आदेश दिया था। इसी आदेश को चुनौती देने के लिए मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा था।
आगे की राह
अब जबकि हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है, तो संभल की निचली अदालत में मुकदमे की कार्यवाही तेज होगी। साथ ही, जामा मस्जिद परिसर का एडवोकेट कमिश्नर के माध्यम से सर्वे कराया जाएगा, जिससे यह तय किया जा सके कि वहां मंदिर के अवशेष या प्रमाण मौजूद हैं या नहीं।