Sambhal Violence: पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई हिंसा के मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है। यह हिंसा शाही जामा मस्जिद के एएसआई सर्वेक्षण के दौरान भड़की थी।
गुरुवार को जब यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी गई, तो कई स्थानीय निवासियों ने आयोग के प्रति आभार जताया और हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। लोगों ने कहा कि यदि समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए, तो हिंदुओं का पलायन और तेज हो सकता है।
क्या है मामला?
24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किए जा रहे सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया। इस आयोग में उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक ए.के. जैन भी शामिल थे।
आयोग की रिपोर्ट ‘गोपनीय‘
आयोग ने अपनी जांच के बाद रिपोर्ट तैयार की है, जिसे मुख्यमंत्री को सौंप दिया गया है। रिपोर्ट में क्या कहा गया है, इसकी आधिकारिक जानकारी अभी नहीं दी गई है। आयोग के सदस्य ए.के. जैन ने इसे ‘गोपनीय’ बताया है और इसके ब्योरे साझा करने से मना कर दिया।
स्थानीय लोगों की क्या मांग है?
रिपोर्ट में गवाही देने वाले संजय कुमार पोली ने कहा, “हम न्यायिक आयोग के आभारी हैं जिन्होंने सच्चाई सामने रखी। अब हम सरकार से मांग करते हैं कि संभल के हिंदू समुदाय की सुरक्षा की जाए ताकि उन्हें पलायन न करना पड़े।”
एक अन्य स्थानीय प्रतिनिधि गगन वार्ष्णेय ने कहा, “हमने आयोग से अनुरोध किया था कि संभल में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए और उन्हें वही सुविधाएं मिलें जो दूसरे अल्पसंख्यकों को मिलती हैं। हमें उम्मीद है कि आयोग ने हमारी बात समझी होगी।”
अब आगे क्या?
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब सभी की नजरें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि हिंसा और तनाव के माहौल में रह रहे हिंदुओं को सुरक्षा, समर्थन और भरोसे की जरूरत है।
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