Sambhal Violence : उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मुगलकालीन जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान भड़की हिंसा के बाद अब जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। हिंसा के बाद स्कूल फिर से खुल गए हैं और रोजमर्रा की जरूरत की चीजें बेचने वाली कई दुकानें भी खुल गई हैं। हालांकि, संभल तहसील में इंटरनेट सेवाएं अब भी बंद हैं। जिला सूचना अधिकारी बृजेश कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में बताया कि जिलाधिकारी के आदेश के अनुसार, संभल तहसील में बुधवार शाम चार बजे तक इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी।
संभल नगर में स्थिति सामान्य हो रही है और हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों के सदस्य आपसी एकता और सांप्रदायिक सद्भाव की पुनर्स्थापना की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। हिंसा के बाद पैदा हुए हालात को देखते हुए पुलिस और प्रशासन के अधिकारी स्थिति पर लगातार कड़ी नजर बनाए हुए हैं। प्रमुख चौराहों पर पुलिस बल तैनात किया गया है और संवेदनशील इलाकों में रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के कर्मी भी तैनात किए गए हैं। प्रशासन ने 30 नवंबर तक बाहरी लोगों और जनप्रतिनिधियों के संभल में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मुरादाबाद मंडल के आयुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने मंगलवार को बयान देते हुए कहा कि “संभल में स्थिति सामान्य है और दुकानें खुली हैं। जहां हिंसा भड़की थी, वहां कुछ दुकानें बंद हैं, लेकिन बाकी जगहों पर स्थिति पूरी तरह से सामान्य हो गई है। सुरक्षा बल तैनात हैं और स्थिति पर पूरी तरह से नियंत्रण है। रोजमर्रा की गतिविधियां फिर से सामान्य हो रही हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि “क्षेत्रीय सांसद और स्थानीय विधायक के बेटे पर भीड़ को भड़काने का मामला दर्ज किया गया है और आगे की जांच जारी है। सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की जा रही है।”
पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) मुनिराज जी ने भी स्थिति को सामान्य बताते हुए कहा कि पुलिस अपनी ड्यूटी पर पूरी तरह से सतर्क है और मंगलवार को संभल से कोई अप्रिय खबर नहीं आई है। उन्होंने कहा कि “स्थिति पूरी तरह से सामान्य हो रही है, दुकानें खुल रही हैं और अब कोई समस्या नहीं है।”
जमीयत उलेमा ए हिंद का सुप्रीम कोर्ट में आवेदन
इस बीच, जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर एक आवेदन दायर किया है। (Sambhal Violence) जमीयत ने इस आवेदन में अदालत से यह आग्रह किया है कि धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण का आदेश देना गलत है, खासकर जब कि 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत धार्मिक स्थलों के स्वरूप को 1947 जैसा बनाए रखने की बात कही गई है।
जमीयत उलेमा ए हिंद ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की है। उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन अभी तक इस पर सुनवाई नहीं हो पा रही है। जमीयत के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर इस मामले में जल्द सुनवाई की अपील की है, ताकि इस कानून का पूरी तरह से पालन किया जा सके और धार्मिक स्थलों के मौजूदा स्वरूप को सुरक्षित रखा जा सके।
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