UP News : सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार अभिषेक उपाध्याय को राहत देते हुए कहा कि सरकार की आलोचना करने पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार की आलोचना करने मात्र से पत्रकार के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह टिप्पणी पत्रकार अभिषेक उपाध्याय को राहत देते हुए की। अभिषेक ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। साथ ही निर्देश दिया है कि इस अवधि के दौरान उपाध्याय के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सुप्रीम कोर्ट का रुख 20 सितंबर को लखनऊ के हजरतगंज थाने में अभिषेक उपाध्याय के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। जवाब में अभिषेक ने एफआईआर को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने पत्रकार को अंतरिम संरक्षण देते हुए इस बात पर जोर दिया कि लोकतांत्रिक देशों में नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि पत्रकारों के अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत संरक्षित हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। न्यायालय ने कहा कि पत्रकार का लेखन, भले ही वह सरकार की आलोचना करता हो, आपराधिक मुकदमा चलाने का आधार नहीं हो सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में उत्तर प्रदेश के (UP News) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पक्षकार बनाए जाने पर भी नाराजगी जताई। इस बारे में पूछे जाने पर अभिषेक के वकील ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि याचिका में संशोधन करके उनका नाम हटा दिया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर को होनी है।
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