AAP: दक्षिण दिल्ली के कालकाजी एक्सटेंशन इलाके में झुग्गियों पर हुई तोड़फोड़ को लेकर दिल्ली की राजनीति गरमा गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) लगातार इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को घेर रही है। दिल्ली सरकार की मंत्री और आप नेता आतिशी ने इस तोड़फोड़ अभियान के बाद बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी की कार्रवाई ने सैकड़ों गरीब परिवारों को बेघर कर दिया है, जिनके पास अब न तो सोने की जगह है और न ही खाने का कोई इंतजाम।
“रात भर बेघर परिवारों के साथ रही” – आतिशी
आतिशी ने बुधवार देर रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा कि वे पूरी रात कालकाजी के भूमिहीन कैंप में बेघर हुए लोगों के साथ रहीं। उन्होंने कहा कि कई बच्चों ने सुबह से खाना नहीं खाया था और कुछ परिवारों के पास रात बिताने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं थी। आतिशी ने लिखा, “इनका हाल देखकर दिल टूट गया। बीजेपी को इन गरीबों की बद्दुआ जरूर लगेगी।”
“बेघरों के लिए लगाऊंगी विशेष कैंप”
आतिशी ने यह भी जानकारी दी कि उन्होंने बेघर हुए परिवारों को दाल-चावल खिलाया और कुछ के रहने की भी व्यवस्था की। उन्होंने ऐलान किया कि वे अपने विधायक कार्यालय में विशेष कैंप लगाएंगी, जहां इन लोगों की समस्याएं सुलझाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा, “आम आदमी पार्टी हर सुख-दुख में गरीबों के साथ थी, है और हमेशा रहेगी।”
तोड़फोड़ के खिलाफ हिरासत में ली गई थीं आतिशी
इससे पहले 10 जून को भी आतिशी कालकाजी के भूमिहीन कैंप पहुंची थीं, जहां उन्होंने झुग्गियों को तोड़े जाने का विरोध किया था। विरोध के दौरान पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। हिरासत में लिए जाने से पहले उन्होंने कहा था, “बीजेपी झुग्गियों को तोड़ने जा रही है और मुझे जेल भेजा जा रहा है क्योंकि मैं गरीबों की आवाज़ उठा रही हूं। सीएम रेखा गुप्ता को झुग्गीवालों की हाय लगेगी। बीजेपी कभी वापस नहीं आएगी।”
DDA का पक्ष – “344 झुग्गियां, ज्यादातर खाली थीं”
दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने अपनी सफाई में कहा कि यह कार्रवाई कालकाजी की 5 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ की गई। डीडीए के मुताबिक यह इन-सिटू स्लम पुनर्वास परियोजना का हिस्सा है, जिसमें 2015 की पुनर्वास और स्थानांतरण नीति के तहत पात्रता तय की गई थी।
डीडीए ने यह भी दावा किया कि बुधवार को तोड़ी गई 344 झुग्गियों में से अधिकतर खाली थीं और किसी वैधानिक रोक के तहत नहीं आती थीं। DDA के अनुसार पात्र लोगों को पुनर्वास के विकल्प पहले ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं।
राजनीतिक गरमाहट तेज
जहां एक ओर DDA अपनी कार्रवाई को नियमों के तहत बता रहा है, वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी इसे गरीब विरोधी और अमानवीय कदम बता रही है। इस मामले ने एक बार फिर राजधानी में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों की बदहाल स्थिति को उजागर कर दिया है, जो चुनावी मौसम में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में सरकार और प्रशासन इन बेघर हुए परिवारों के लिए क्या कदम उठाते हैं, और विपक्ष इस मुद्दे को किस हद तक हवा देता है।