Shahjahanpur News: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जनपद स्थित बरेली मोड़ के राजकीय बाल गृह में एक बार फिर अमानवीयता और लापरवाही का शर्मनाक मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो ने इस संस्थान में रह रहे 13 अनाथ बच्चों के साथ की गई क्रूरता की सच्चाई उजागर कर दी है। वीडियो में केयरटेकर पूनम गंगवार को बच्चों को डंडे से पीटते, थप्पड़ मारते और उनके कान खींचते हुए साफ देखा जा सकता है।
पहले भी आ चुका है ऐसा मामला
यह पहली बार नहीं है जब शाहजहांपुर (Shahjahanpur) के इस राजकीय बाल गृह में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है। पूर्व में भी यहां से इसी तरह की शिकायतें मिल चुकी हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता के चलते कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
शिकायत के बाद भी चुप्पी
इस अमानवीय घटना के बारे में जिला पंचायत सदस्य मुकेश दीक्षित ने जानकारी देते हुए बताया कि यह घटना सितम्बर 2024 की है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की शिकायत 31 दिसंबर 2024 को उच्चाधिकारियों से की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिकायतों का कोई संज्ञान न लिए जाने के बाद उन्होंने लखनऊ तक पत्राचार किया, लेकिन वहां से भी निराशा हाथ लगी। अंततः उन्होंने यह वीडियो सोशल मीडिया पर साझा कर दिया, जिसके बाद मामला सुर्खियों में आ गया।
वायरल वीडियो के बाद प्रशासन में मचा हड़कंप
जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। मुख्य विकास अधिकारी (CDO) ने तत्काल प्रभाव से मामले की जांच करवाई और जांच में आरोप सही पाए जाने पर केयरटेकर पूनम गंगवार की सेवा समाप्त करने के आदेश दिए गए। साथ ही, जिला प्रोबेशन अधिकारी से भी इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
कार्रवाई में देरी और पक्षपात के आरोप
स्थानीय लोगों (Shahjahanpur) और जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि शिकायत दर्ज होने के बावजूद भी इस मामले को जानबूझकर दबाया गया। जानकारी के अनुसार, केयरटेकर पूनम गंगवार विभाग से जुड़े एक अधिकारी की खास मानी जाती है, इसी वजह से कार्रवाई टाली जाती रही। यह भी कहा जा रहा है कि बाल गृह में रह रहे बच्चों के साथ लंबे समय से अत्याचार और उत्पीड़न होता आ रहा है, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने हमेशा आंखें मूंदे रखीं।
जनता में आक्रोश
वीडियो सामने आने के बाद आमजन और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जब शासन की सीधी निगरानी में चलने वाली संस्थाओं में ही बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव हो सकता है, तो आम समाज में उनके अधिकारों की स्थिति क्या होगी?