जब प्रशासन ही जांच में खेल कर ने लगे, जब इंसाफ मिलना नामुकिन लगने लगे, जिस पुलिस से हम इंसाफ की उम्मीद लगाते है वही करती है खेल, तो क्या कारे आम इंसान। यू तो पुलिस पर घटना की जांच के समय खेल करने का आरोप लगता ही रहता है। आपको बता दें कि इस बार जो मामला सामने आया है, उसने सबको हैरान कर दिया है। एक दलित बुजुर्ग की हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने जांच का ऐसा खेल खेला है। जो किसी की भी समझ से परे है। इस मामले की जांच पुलिस ने 1, 2 या 7 बार नहीं बल्कि पूरी 14 बार की है। इस मामले की जांच पुलिस पिछले 8 सालों से कर रही हैं। इस केस की जांच को करीब 14 बार बदला जा चूका है।
हैरानी की बात तो ये है कि जब पोलिश की जांच इस मामले पर किसी नतीजे तक पहुंचती है यानी जब आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से गैर जमानती वारंट पुलिस ले रही हो या फिर कुर्की के आदेश लेने जा रही हो , सीबी सीआईडी का जांच अधिकारी को तभी बदल दिया जाता है। इसके बाद आया नया अधिकारी फिर से शुरुआत जांच करता है। अपर मुख्य सचिव ने इस मामले में डीजीपी को जांच के आदेश दिए है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल 7 साल पहले का ये पूरा मामला है। आपको बता दें कि 5 जून 2017 को गोंडा के तजबगंज थाना के पकड़ी गांव में रहने वाले रमई की गांव के दबंग कलूट,राधेश्याम ,मोहन अली एवं विष्णु शंकर दुबे ने लाठी डंडों से मार-मार कर हत्या कर दी। इसके साथ ही एससी-एसटी एक्ट में क्राइम नंबर 238 /2017 नामजद एफआईआर 4 आरोपियों के खिलाफ दर्ज हुई।
ये मामला एक दलित की हत्या का था इस लिए इसमें एससी -एसटी लगाया गया था। सीओ मनकापुर विजय आंनद को इसकी जांच दी गई थी। परन्तु जैसे ही जांच की करवाई आगे बड़ी विजय आंनद का तबादला हो गया। इसके पश्चात सीओ तरबगंज बर ब्रह्म सिंह को जांच का जिम्मा सौपा गया। जब ये मामले की छानबीन कर रहे थे तब जांच बदलकर सीओ सतीश को दे दी गई।
बता दें कि सतीश शुक्ला के छुट्टी पर जाने की वजह से उनकी जगह गौरव त्रिपाठी ने लगभग 4 महीने तक इस केस की जांच की। परन्तु जांच अचानक फिर से बदल दी गई। इस बार बस्ती के सीओ कलवारी अरविंद को दे दी।
इनके बाद गैर जनपद बहराइज के सीओ नानपारा सुरेंद्र यादव को सौंपी गई , उनके बाद सीओ सिटी विजय प्रकाश को दे दी गई। इन सब के पश्चात अब सीबी सीआईडी को दी गई।
परन्तु इसमें भी जांच को एक से दूसरे को सौपने की प्रक्रिया जारी हो गई। इस केस में कृष्ण गोपाल ने सरे नामजद आरोपियों के खिलाफ चर्शित लगाने की सिफारिश करि साथ ही अपनी रिपोर्ट को 31 मई 2022 में सीबी सीआईडी को भेज दी।
आरोपियों को मिली क्लीन चिट
आपको बता दें कि इस केस में जितनी भी जांच हुई उसमे आरोपियों के खिलाफ सबूत मिले है। परन्तु समीर सौरभ की जांच में आरोपियों को क्लीन चिट देने की तैयारी में है। जब 14 बार जांच बदलने की खबर मृतक की पत्नी एवं बेटे को लगी तो उन्होंने इसकी शिकायत प्रमुख सचिव गृह से की।
फ़िलहाल अब इस मामले की जांच कर रहे सीबी सीआईडी प्रयागराज के सेक्टर प्रभावी समीर ने बताया कि हत्याकांड की जांच सीबी सीआईडी कर रही है।