आबादी के बढ़ते स्तर को देखते हुए पुराने शहरों में बढे बोझ को कम करने के लिए नई टाउनशिप बसाई जाएगी। आपको बता दें कि नई टाउनशिप का विकास लखनऊ, गौतमबुद्धनगर, प्रयागराज, कानपुर, वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, मेरठ, गाजियाबाद, आदि में किया जाएगा। इसके साथ ही 32 औद्योगिक शहर पांच एक्सप्रेसवे के किनारे बसाए जाएंगे।
दरअसल, शहरों में आबादी बढ़ने कारण बुनियादी सुविधाओं को लेकर गड़बड़ होने लगती है। ये बहुत बड़ी चुनौती है। विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट को देखते हुए देश के करीब 40 फीसदी लोग वर्ष 2030 तक शहरों में निवास करेंगे। तब लगभग ऐसे कस्बे 5000 तक होंगे, जिनकी आबादी की संख्या एक लाख से ज्यादा होगी। वही 10 हजार से अधिक आबादी वाले कस्बों की संख्या 50 हजार से ज्यादा होगी।
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इस स्थिति को मद्दे नजर रखते हुए शहर नियोजित तरीके से बसाने की योजना बनाई गई है। क्योकि पुराने शहरों की किसी प्रकार की सुविधाओं पर असर न पड़े। जिसको देखते हुए सरकार एक दर्जन शहरों के पास वाले क्षेत्रों में नई टाउनशिप विकसित करने की तैयारी कर ली है। इससे पुराने शहरों की बुनियादी सुविधाओं पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा, वहीं पूरी तरह से नई टाउनशिप नियोजित होगी। जिससे की लोगों का जीवन स्तर और बेहतर बनेगा।
पांच एक्सप्रेसवे के किनारे बसेंगे 32 औद्योगिक शहर
सरकार ने पांच एक्सप्रेसवे के किनारे 32 औद्योगिक शहर बसाने की तैयारी हो रही है। इसके लिए बुंदेलखंड, पूर्वांचल और गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे बसे 23 जिलों के 84 गांवों को चिह्नित कर अधिसूचित भी किया गया है। अब इनके अधिग्रहण का काम उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) करेगा। हर शहर के लिए शुरुआत में 100 से 600 एकड़ तक जमीन का अधिग्रहण होना है। यूपीडा अधिग्रहण के बाद यहां बुनियादी सुविधाओं का विकास कर इनको निवेशकों को उपलब्ध कराया जाएगा। इन शहरों में वेयर हाउस, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, लॉजिस्टिक, दुग्ध प्रसंस्करण, होजरी, फूड प्रोसेसिंग, दवा, मशीनरी से संबंधित इकाइयों में निवेश आकर्षित कराने पर फोकस किया जाएगा। साथ ही ये भी ध्यान रखा जाएगा कि जिस क्षेत्र में जिस उद्योग की परंपरा हो उसको उससे संबंधित ही उद्योग भी मिले।