Swami Prasad Maurya : स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर से चर्चा का केंद्र बन गए हैं। सोशल मीडिया पर ऐसी चर्चाएं जोरों पर हैं कि बसपा प्रमुख मायावती को सबसे अधिक आलोचना करते हुए पार्टी छोड़ने वाले मौर्य जल्द ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में वापसी कर सकते हैं। हालांकि, अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
बसपा समर्थकों और पत्रकारों की चर्चाएं
बसपा समर्थित सोशल मीडिया हैंडल्स और पार्टी से जुड़े जानकारों के बीच स्वामी प्रसाद मौर्य की घर वापसी को लेकर चर्चा तेज हो गई है। यह भी कहा जा रहा है कि मौर्य का बसपा में लौटना न केवल पार्टी के लिए बल्कि उनके राजनीतिक करियर के लिए भी बड़ा कदम साबित हो सकता है।
स्वामी प्रसाद मौर्य की चुप्पी
स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी सूत्रों का कहना है कि हाल ही में बसपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने मौर्य से मुलाकात की है। हालांकि, मौर्य ने इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया है। मौर्य ने केवल इतना कहा है कि “सियासत में संभावनाओं के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं।”
मायावती का रणनीतिक निर्णय
सूत्रों के अनुसार, हाल ही में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बसपा की बैठकों के दौरान मायावती ने पुराने नेताओं की पार्टी में वापसी को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि जो नेता कभी पार्टी के मजबूत आधार थे और बसपा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं, वे यदि वापस आना चाहें तो उनका स्वागत किया जाएगा।
मौर्य की संभावित वापसी पर नजर
स्वामी प्रसाद मौर्य के नाम की चर्चा इसलिए भी खास है, क्योंकि फिलहाल वे किसी भी पार्टी से जुड़े नहीं हैं। मौर्य ने बसपा छोड़ने के बाद भाजपा और फिर समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थामा था। सपा से अलग होने के बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी भी बनाई, लेकिन वह ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाई।
क्या मायावती मौर्य को माफ करेंगी?
स्वामी प्रसाद मौर्य की बसपा में वापसी का सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मायावती मौर्य के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों और निजी हमलों को नजरअंदाज कर पाएंगी? मौर्य ने पार्टी छोड़ने के बाद कई बार मायावती की कड़ी आलोचना की थी। ऐसे में, अगर मायावती उन्हें माफ कर देती हैं, तो यह राजनीतिक दृष्टि से एक बड़ा फैसला होगा।
दलित मिशन और मौर्य की संभावनाएं
स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा छोड़ने के बाद दलित मिशन को लेकर राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश की थी। अब अगर वह बसपा में लौटते हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वह मायावती के नेतृत्व में अपनी भूमिका कैसे निभाएंगे।
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